दैनिक सांध्य टाइम्स में दिनांक 30 मार्च 2010 को प्रकाशित इस खबर पर इमेज पर क्लिक करके पढि़ए और आप भी विचार कीजिए।
अगर हो जाएगी खत्म
तो पता कैसे चलेगा
किसको चलेगा पता
हर कोई लापता मिलेगा
पर किसको मिलेगा
जब होगा ही नहीं कोई
कैसी है यह फसल बोई
चिंतातुर होते हैं पर
चिंतन नहीं करता कोई
कि क्या इसे
धरती का समापन समारोह
मानना चाहिए या नहीं
जानना चाहता हूं मैं।
अगर बच रहे तो कल मिलेंगे...अभी तो तान कर सो जाते हैं. :)
जवाब देंहटाएंहोने दो खत्म धरती
जवाब देंहटाएंआज तो हम सीचने जा रहे है
जमीन का वह टुकड़ा
जो पड़ा है परती
अविनाश जी !
जवाब देंहटाएंहमेशा के लिए विदाई लेते हैं दोस्त ,
पता नहीं कल रहे या न रहें
ऊपर भी आपसे एक शिकायत रहेगी ,
उस दिन राजीव तनेजा के घर पर
अपनी तो ३ पेज की रचना सुना दी
और हमारी बारी आयी तो बात ही घुमा दी,
मेरे बैंक वाले कहते हैं...अभी खत्म नहीं हो रही है सर, जब तक आप पूरी किश्तें न चुका दें
जवाब देंहटाएं@ सतीश सक्सेना
जवाब देंहटाएंशिकायत तो सदा रहनी चाहिए
इससे स्मृतियां कुलबुलाती रहती हैं
फिर कुल बुलाती हैं
तब आप 300 पेज की सुना सकते हैं
पर तीन पेज की एवज में नहीं
मैं बिल्कुल नहीं सुनाऊंगा
बस आपकी ही सुनता जाऊंगा
पर ऐसा बेध्यानी में हुआ होगा
थोड़े से अज्ञानी हैं न
इसलिए ज्ञान लेने की बुलाहट रहती है
सदा मन में।
धरती की क्या चिंता है?
जवाब देंहटाएंमानव सर्वश्रेष्ठ तो बन ले,
इतिहास तो रच ले,
उसको पढ़ने वाला कोई
कल बचे न बचे
अभी तो सुर्खियाँ बना कर
सबसे पल भार के लिए
विदाई ही ले लेते हैं.
रहे तो फिर
कल फिर मिल लेते हैं.
गर बच गये तो कल फिर मिलेंगे……………।वैसे हम अभी नही मरने वाले क्युकि कल कभी नही आता।
जवाब देंहटाएंऐसे थोड़े ही छोड़ दूंगा कल बताता हूँ आपको ....
जवाब देंहटाएंलगता है आज तो बच गए । २०१२ में देखा जायेगा ।
जवाब देंहटाएंजय श्री कृष्ण..आपको बधाई ....आपने बेहद खुबसूरत लिखी हैं....मन को छू देने वाली....सरल और सहज.....हांजी हमने बधाई देने में बहुत देर कर दी...और आपका आभार...बस इसी प्रकार अपनी दुआएं साथ रखियेगा.....हम और ज्यादा अच्छा और दिल से लिखने का प्रयास करते रहेंगे....!!!!
जवाब देंहटाएं---डिम्पल
बहुत बहुत बधाई आप सब को हम बच गये जी
जवाब देंहटाएंचिंतन हो चिंता न हो .
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