सुनाई देने लगी है मध्यावधि की पदचाप
पवार लगा रहे हैं कांग्रेसनीत सरकार में सेंध
(लिमटी खरे)
इतिहास गवाह है कि महिला आरक्षण विधेयक पर जब भी चर्चा की गई या किसी सरकार ने इसे पास कराने का जतन किया वह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई, या किया भी है तो वापस सत्ता में नहीं लौटी है। हरदन हल्ली डड्डीगोडा देवगोडा ने जब कोशिश की तो सत्ता के गलियारे से उन्हें बाहर फेंक दिया गया था। इसके उपरान्त इन्द्र कुमार गुजराल ने इसमें हाथ लगाया तो वे भी चले गए। अटल बिहारी बाजपेयी ने इसे पास कराने की मंशा बनाई तो वे दुबारा सत्ता में नहीं लौटे।
सत्ता के गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार वर्तमान में प्रधानमन्त्री डॉ.मनमोहन सिंह ने फिर पिटारे में हाथ डाला है, तो वे भी सत्ता में दुबारा लौट पाएं इसकी संभावनाएं बलवती होती जा रही हैं। वैसे भी कांग्रेस ने मंहगाई और बाला साहेब ठाकरे से हाथ मिलाने के मुद्दे पर पवार को आडे हाथों लिया था। इसके बाद से ही पंवार मौके की तलाश में थे कि किस तरह कांग्रेस को सबक सिखाया जाए। पंवार की नाराजगी उस समय और बढ गई थी जब कांग्रेस प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने उन्हें भला बुरा कह दिया था, यद्यपि कांग्रेस ने चतुर्वदी को प्रवक्ता पद से हटा दिया गया है, पर पवार की नाराजगी कम होती नहीं दिख रही है।
पिछले दिनों यादव बंधुओं के सरकार से समर्थन वापस लेने के उपरान्त शरद पवार संसद के गलियारे में भाजपा के नेताओ ंसे यह कहते सुने गए थे कि अब कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के दिन ज्यादा नहीं बचे हैं। इसके पीछे पवार द्वारा महिला आरक्षण बिल के जिन्न का ही हवाला दिया जा रहा था। एक तरफ पवार द्वारा शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे के दरबार में जाकर कांग्रेस को सन्देश दे दिया कि वे कांग्रेस के बंधुआ नहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में पवार और भाजपा नेताओं की नजदीकियों कांग्रेस के मैनेजरों की नज़रों में बुरी तरह खल रही है।
भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो केन्द्रीय कृषि मन्त्री और राकापां सुप्रीमो शरद पवार तो साफ तौर भाजपा के आला नेताओं को आश्वस्त कराते नज़र आए हैं कि कांग्रेसनीत संप्रग सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं करने वाली और आम चुनावों के लिए देश को पांच साल इन्तजार नहीं करना पडेगा।
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