पाखी पत्रिका के मार्च अंक में ब्लॉगनामा में पेज 92 पर प्रकाशित इस लेख का आशय यह है कि टिप्पणी का गला मत दबाइए। सही से पढ़ने के लिए इमेज पर क्लिक कीजिएगा
प्रतिभा कुशवाहा कह रही हैं कि टिपियाइए ! मगर ध्यान से (अविनाश वाचस्पति)
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अच्छा आलेख. पढ़्कर टिपियाया है. :)
जवाब देंहटाएंध्यान से ही पढ़ा है जी!
जवाब देंहटाएंbaat bilkul sahilikhi hai charon taraf yahi shor hai sab dekh rahe hain magar majboor hain ......kya kar sakte hain siway iske ki ignore kiya jaye aur sirf apne blog par dhyan diya jaye.
जवाब देंहटाएंjo achcha mile use padhiye apne vichar vyakt kariye aur chale aaiye ........isse jyada kuch nhi ho sakta.
प्रतिभा जी यह टिप्पणी देकर अविनाश जी आपने अच्छा ही किया। मैं स्वयं जब मौका मिला है यह कहता रहा हूं कि केवल नाइस कहने से काम नहीं चलता। पोस्ट पर थोड़ा मंथन भी करें। ब्लाग लेखक भी ऐसे मुद्दे सामने रखें जिन पर विचार की जरूरत है। वैसे बात यह भी सही है कि ब्लाग लेखक का काम लिखना है। जिसको जो कहना हो वह कहे। पर हां ये टिप्पणियां जब टीपीआर का काम करने लगती हैं तो समस्या पैदा होती है।
जवाब देंहटाएंमेरी टिप्पणी में कृपया टीपीआर की जगह टीआरपी पढ़ें।
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