हास्य
-डॉ० डंडा लखनवी
कुछ का हृदय उदार है होली की वजह से।
कुछ की नज़र कटार है होली की वजह से।।
कल तक वो किसी तरह से पसीजता न था,
अब दे रहा उधार है होली की वजह से।।
सोते में साले आए थे, बन्दर बना गए-
साली को नमस्कार है, होली की वजह से।।
रिक्से का भाड़ा कर रहे चुकता दरोगा जी,
यह सारा चमत्कार है, होली की वजह से।।
वो संत नहीं महासंत, छूते कहाँ मय?
आँखों में बस खुमार है, होली की वजह से।।
साहब की पे तो उड गई मेकॅप में मेम के,
ऊपर का इंतिजार है, होली की वजह से।।
उनको न हुआ कुछ भी बदन उसका छू लिया,
मुझपे चढ़ा बुखार है, होली की वजह से।।
रंगों से लबालब भरी नर्से लिए सिरेन्ज,
हर डाक्टर फ़रार है होली की वजह से।।
सोचा था देंगी गोझिया होंली में भाभियाँ,
पर, लठ्ठ पुरस्कार है, होली की वजह से।
सचलभाष- 093360-89753
ग़ज़ल क़ाबिले-तारीफ़ है।
जवाब देंहटाएंवाह जी डंडा लखनवी.
जवाब देंहटाएंदे रहे हैं टिप्पणी जोरदार होली की वजह से.
जवाब देंहटाएंसाहब की पे तो उड गई मेकॅप में मेम के,
जवाब देंहटाएंऊपर का इंतिजार है, होली की वजह से।।
उनको न हुआ कुछ भी बदन उसका छू लिया, मुझपे चढ़ा बुखार है, होली की वजह से।।
.........वाह ऐसा डंडा.!!!!! जबरदस्त है जी
लखनवी जी
जवाब देंहटाएंसदा सुखी रहो
सोते में साले आये थे,बन्दर बना गए साली को नमस्कार है,होली की वजह से
वाह क्या लिखा आपने एक शब्द
भगवान एक तो साली दे गोरी नहीं तो काली दे
साली तो थी पर मिली होली की वजह से
सुसराल तो जाते नहीं थे, आना जाना हुआ
होली की वजह से
accha vyangya kasa hai aap ne , bahut khoob
जवाब देंहटाएंab to har vyangya par maar hai
जवाब देंहटाएंholi ki wajah se
hahaha........bahut sundar.
वाह भई डंडा जी.
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