कल का दिन मुझे व्यथित कर गया | एक मित्र महोदया ने एक अजन्मी बच्ची की हत्या कर दी क्यूंकि उनको अपनी पहली संतान के रूप में एक बिटिया नहीं चाहिए थी कैसी त्रासदी है जब पढ़े लिखे जागरूक लोग ऐसी मानसिकता रखते हैं तो बाकि लोगो से कोई क्या उम्मीद रहे?
यक्ष प्रश्न .......क्या शिक्षा ने यही जागरूकता दी हमे ???????
दिल ए रेगिस्तान में फंसी, जिंदगी के मिराज में भटकती
नाउम्मीदी होगी हासिल, मालूम है इनको अपनी हस्ती !
उम्मीदों के बादल की बरखा टीस का पानी बन झड जाती
शायद ...इसीलिए परियां अब इस ज़मीन पर नहीं आती !
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सभी मित्रो से एक विनम्र निवेदन ~
अगर कुछ लोगो भी ये गुनाह कर पाने से हम रोक पाए
तो लगेगा की अब भी कुछ इंसानियत जिंदा है कहीं
कृपया इस पोस्ट का लिंक को अपने सभी मित्रों को भेजे
शायद इस सोते हुए समाज को कुछ जागरूक कर पायें
शायद ...इसीलिए परियां अब इस ज़मीन पर नहीं आती
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अविनाश भाई इस कर्त को रोकने का एक ही उपाय है, जो भी ऎसा करे चाहे वो हमारा कितना ही अजीज क्यो ना हो उसे समाज से दुतकार दो, उसे बुलाना छोड दो, अगर सबूत हो तो उसे उजागर करो ताकि उसे सजा मिले
जवाब देंहटाएंबढ़िया सन्देश है!
जवाब देंहटाएंइसका समर्थन करता हूँ!
बिल्कुल, राज भाटिया जी सही कह रहे हैं। ऐसे लोगों को सजा मिलनी ही चाहिए। बाकी जहां तक ऐसे कुकर्मों को रोकने की बात है तो हमारी चेतना ऐसे लोगों को छोड़ने वाली नहीं है।
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