साहित्य जगत में शोक की लहर

Posted on
  • by
  • अविनाश वाचस्पति
  • in
  • Labels:

  • हिंदी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार व जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर कल्याण मल लोढ़ा का २१ नवम्बर की रात लगभग २.३० बजे जयपुर में निधन हो गया. वे ८९ वर्ष के थे. प्रोफ़ेसर लोढ़ा पिछले कुछ वर्षों से अस्वस्थ चल रहे थे.
    प्रोफ़ेसर लोढ़ा ने १९४३ में इलाहबाद विश्वविद्यालय, प्रयाग से हिंदी में एम ए किया. सन १९४५ में आप पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता आकर बस गए. कलकत्ता के जयपुरिया कॉलेज में आप हिंदी के विभाध्यक्ष नियुक्त हुए. १९४८ में कलकत्ता विश्वविद्यालय में अंशकालिक प्राध्यापक के रूप में काम शुरू किया, फिर १९५३ में पूर्णकालिक प्राध्यापक नियुक्त हुए. १९६० में आप रीडर बने और १९७४ में प्रोफ़ेसर. १९६० से ८० तक आप कलकत्ता विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष रहे. इस लम्बे कार्यकाल में आपने हिंदी की विकास यात्रा में नए आयाम स्थापित किये. हिंदी के सुविख्यात विद्वान तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आचार्य विष्णुकांत शास्त्री कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर लोढ़ा के शिष्य रहे. सन १९७९ से ८० तक आप राजस्थान के जोधपुर विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किये गए. एक वर्ष के पश्चात आप पुनः कलकत्ता आ गए फिर सन १९८६ में आपने कलकत्ता विश्वविद्याला से अवकाश ग्रहण किया.
    प्रोफ़ेसर लोढ़ा ने ५० से अधिक शोध निबंध लिखे.
    आपने दर्जनों पुस्तकों की रचना की, जिनमे प्रमुख हैं- वाग्मिता, वाग्पथ, इतस्ततः, प्रसाद- सृष्टी व दृष्टी , वागविभा, वाग्द्वार, वाक्सिद्धि, वाकतत्व आदि. इनमे वाक्द्वार वह पुस्तक है, जिसमे हिंदी के स्वनामधन्य आठ साहित्यकारों - तुलसी, सूरदास, कबीर, निराला, मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, माखनलाल चतुर्वेदी के साहित्यिक अवदानों का सुचिंतित तरीके से मूल्याङ्कन किया गया है. प्रोफ़ेसर लोढ़ा ने प्रज्ञा चक्षु सूरदास , बालमुकुन्द गुप्त-पुनर्मूल्यांकन, भक्ति तत्त्व, मैथिलीशरण गुप्त अभिनन्दन ग्रन्थ का संपादन भी किया.
    प्रोफ़ेसर लोढ़ा को उनके साहित्यिक अवदानों के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार, केंद्रीय हिंदी संसथान-आगरा से राष्ट्रपति द्वारा सुब्रमण्यम सम्मान, अमेरिकन बायोग्राफिकल सोसाइटी अदि ने सम्मानित किया. आप अपनी ओजपूर्ण वाक्शैली के लिए देश भर जाने जाते थे. विविध सम्मेलनों में आपने अपना ओजश्वी वक्तव्य देकर हिंदी का मान बढाया. आप के के बिरला फाउन्डेसन, भारतीय विद्या भवन, भारतीय भाषा परिषद्, भारतीय संस्कृति संसद सरीखी देश की सुप्रसिद्ध संस्थावों से जुड़े हुए थे.
    प्रोफ़ेसर लोढ़ा के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है. उनका अंतिम संस्कार रविवार २२ नवम्बर को जयपुर में किया जा रहा है. प्रकाश चंडालिया
    ........................................................................................................
    लेखक कलकत्ता से प्रकाशित दैनिक राष्ट्रीय महानगर के संपादक हैं.
    नुक्‍कड़ परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि।

    19 टिप्‍पणियां:

    1. लोढ़ा जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ .

      जवाब देंहटाएं
    2. सम्माननीय लोढ़ाजी को शतश: नमन्। हार्दिक श्रद्धांजलि।

      जवाब देंहटाएं
    3. Shradhanjali detee hun unhen...har baar aise kisee ka jana jeeven kee kshanbhangurta yaad dila deta hai..

      http://shamasnasmaran.blogspot.com

      जवाब देंहटाएं
    4. लोढ़ा जी को मेरी भावभीनी श्रधांजलि.

      जवाब देंहटाएं
    5. मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि !

      जवाब देंहटाएं
    6. लोढ़ाजी को शतश: नमन्। हार्दिक श्रद्धांजलि।

      जवाब देंहटाएं
    7. सम्माननीय लोढ़ाजी को श्रद्धांजलि !!!

      जवाब देंहटाएं
    8. साहित्य जगत को यह अपूरणीय क्षति है। सम्माननीय लोढ़ाजी को शत-शत नमन्।

      जवाब देंहटाएं
    9. लोढ़ा जी मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि

      जवाब देंहटाएं
    10. लोढ़ा जी को विनम्र श्रद्धांजलि!

      जवाब देंहटाएं
    11. विनम्र श्रद्धांजलि।

      जवाब देंहटाएं
    12. स्व. लोढा जी का साथ और आशीर्वाद पाने का थोडा-बहुत अवसर मुझे भी मिला है . उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं .

      जवाब देंहटाएं
    13. कल्याण मल लोढ़ा जी को श्रद्धांजलि ।

      जवाब देंहटाएं
    14. स्वर्गीय लोढ़ा जी को श्रृद्धा सुमन अर्पित करता हूँ .

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz