सभी ब्लॉगर्स
बन्धु बान्धवियों को
दीपोत्सव की लाख लाख बधाइयाँ
हार्दिक बधाइयाँ
______कामना कर रहा हूँ दिवाली पे मैं
______घर सभी का बहारों सा रौशन रहे
______आ न पाये अन्धेरे का साया कभी
______चाँद, सूरज, सितारों सा रौशन रहे
मेरी ओर से सभी को
ये मधुर उपहार
इसमें रंग हैं पर विषैले नहीं हैं
माधुर्य है पर मिलावटी मावे का नहीं है
इसका सेवन करने से वज़न भी नहीं बढेगा............
टिप्पणी करने का कोई पैसा भी नहीं लगेगा
तो
दीपोत्सव पर अलबेला की अलबेली भेन्ट..
poems from heart
आ न पाये अन्धेरे का साया कभी, चाँद, सूरज, सितारों सा रौशन रहे
Posted on by Unknown in
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कविता दीपावली अभिनन्दन
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आपको भी बधाई
जवाब देंहटाएंजो दिल से निकले वही कविता है, वरना यह जग रीता है। इस कविता के अनेकों रंग की तरह की फूलझड़ियां आपको भी मुबारक हो।
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