हिन्दी दिवस यानि राष्ट्रभाषा की दुर्दशा पर मर्सिया पढ़ने का दिन

Posted on
  • by
  • पुष्कर पुष्प
  • in
  • हिन्दी दिवस यानि राष्ट्रभाषा की दुर्दशा पर मर्सिया पढ़ने का दिन
    औपचारिक समारोह का प्रतीक बनकर रह गया है-हिन्दी दिवस, यानि चौदह सितम्बर का दिन। सरकारी संस्थानों में इस दिन हिन्दी की बदहाली पर मर्सिया पढ़ने के लिए एक झूठ-मूठ की दिखावे वाली सक्रियता आती है। एक बार फिर वही ताम-झाम वाली प्रक्रिया बड़ी बेशर्मी के साथ दुहरायी जाती है। दिखावा करने में कोई पीछे नहीं रहना चाहता है। कहीं ‘हिन्दी दिवस’ मनता है, कहीं ‘सप्ताह’ तो कहीं ‘पखवाड़ा’। भाषा के पंडित, राजनीतिज्ञ, बुद्विजीवी, नौकरशाह और लेखक सभी बढ़-चढ़कर इस समारोह में शामिल होकर भाषणबाजी करते हैं। मनोरंजन के लिए कवि सम्मेलन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पर्व-त्यौहार की तरह लोग इस दिवस को मनाते हैं। कहीं-कहीं तो इस खुशी के अवसर को यादगार बनाने के लिए शराब और शबाब का भी दौर चलता है। कुछ सरकारी सेवक पुरस्कार या प्रशस्ति पत्र पाकर अपने को जरूर कृतार्थ या कृतज्ञ महसूस करते हैं। खास करके राजभाषा विभाग से जुड़े लोग, कामकाज में हिन्दी को शत-प्रतिशत लागू करने की बात हर बार की तरह पूरे जोश-खरोश के साथ दोहराते हैं। सभी हिन्दी की दुर्दशा पर अपनी छाती पीटते हैं और चौदह सितम्बर की शाम खत्म होते ही सब-कुछ बिसरा देते हैं। READ MORE...

    5 टिप्‍पणियां:

    1. हिंदी को लेकर इतनी कठिनाई नहीं है जीतनी कार्यालयीन समारोहों पर है. संविधान में १४ सितम्बर है तो उसे आक्रोश से बदला जा सकता है? किसी दिन को मानना बुरा कैसे हो जाता है जबकि सालगिरह से लेकर कई दिवस वर्ष भर मनाये जाते हैं. यह उल्लेखनीय है कि किसी भी कार्यालय में मर्सिया नहीं पढ़ा जाता है बल्कि हिन्दीवाले ज़रूर इस दिन हंगामा खडा कर देते हैं. साल भर यह तेवर ढूँढते रह जाते हैं पर नहीं मिलता है मानों हिंदी दिवस कि प्रतीक्षा कर रहे हों. हिंदी दिवस ने राजभाषा को बहुत बुलंदी प्रदान की है और इसलिये इसकी अहमियत को वही जान सकता है जो इससे सीधे जुड़ा हो वरना टिप्पणिओं और विचारों से बींधती राजभाषा उपलब्धिओं के पडाव पार करते जाती है, खामोशी से.
      धीरेन्द्र सिंह

      जवाब देंहटाएं
    2. आपको हिन्दी में लिखता देख गर्वित हूँ.

      भाषा की सेवा एवं उसके प्रसार के लिये आपके योगदान हेतु आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ.

      जवाब देंहटाएं
    3. 14 सितम्बर हिन्दी दिवस नही,
      बल्कि हिन्दी का शोक-दिवस ही है।
      इस पर एक पोस्ट मैंने भी 1 सितम्बर को
      लगाई थी।
      लिंक है-
      http://uchcharandangal.blogspot.com/2009/09/blog-post.html

      जवाब देंहटाएं
    4. आलेख का शीर्षक बहुत सार्थक है ..राष्ट्रभाषा हिंदी वाले देश में हिंदी दिवस मनाया जाना ही अपने आप में इसकी दुर्दशा को साबित करता है ..!!

      जवाब देंहटाएं
    5. हिन्दी हमे बचाना है, हम सबको बढते जाना है। हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई।

      http://hindisahityamanch.blogspot.com

      http://mithileshdubey.blogspot.com

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz