बंगलौर:एक

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  • राजेश उत्‍साही
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  • कनार्टक राज्‍य परिवहन की
    बस नम्‍बर के-4 एम 1455
    रूट न 341 सी का
    कंडक्‍टर
    डयूटी पर निकलने से पहले
    माथे पर तिलक लगाकर
    भगवान के सामने रोज करता
    है प्रार्थना

    हे प्रभु
    नायकनहल्‍ली से मोरीगेट की
    आज कम से कम दस
    सवारियां देना
    ताकि दिन भर का
    चाय का खर्चा निकल आए

    और हां
    करना कुछ ऐसा कि
    नायकनहल्‍ली मंदिर के
    कोने पे
    वो दाढ़ी वाला
    चूक जाए बस

    दाढ़ी वाला
    मांगता है टिकट
    बहकाता है और लोगों को भी
    न खुद बचाता है पैसा
    न बचाने देता है मुझे

    पता नहीं कैसा
    सिरफिरा है
    तीन रुपए का सफर
    पांच रुपए की टिकट लेकर
    करता है

    हे प्रभु
    इस सिरफिरे को
    थोड़ी अक्‍ल दो
    और मुझे कम से कम
    दस सवारी

    बस नम्‍बर
    के-4 एम 1455
    रूट नम्‍बर 341 सी का
    कंडक्‍टर
    डयूटी पर निकलने से पहले
    माथे पर तिलक लगाकर
    भगवान के सामने रोज करता
    है प्रार्थना
    0 राजेश उत्‍साही

    7 टिप्‍पणियां:

    1. कविता नहीं सचाई है। हर रूट के कंडक्टर पर प्रभावी है।

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    2. prabhavi hai..........bahut acchi.blog main aane ke liye dhanyawad

      जवाब देंहटाएं
    3. वाकई कंडक्टर बड़ा प्रभावी है...लेकिन दिल्ली नोएडा में चलने वाली ब्लूलाइन के कंडक्टर और ड्राइवर अपवाद हैं...उन्हें सवारियां तो चाहिए ही साथ ही चाहिए सवारियों की जान...

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    4. शुक्र है चाय का खर्चा ही निकालता है
      निकालता यही पीने का खर्चा
      तो खूब होती चर्चा
      फिर जैसा कहा है अनुपम मिश्र जी ने
      उसे भी चाहिए होती जान
      यह भी जान लो

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    5. बहुत बढ़िया , पैने है नजर

      जवाब देंहटाएं

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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