नेताजी की दुखी आत्मा, दोपहरी सी तपती है.
टिकट मिला जिस दिन,मत पूछो मन मे लड्डू फूट रहे,
सपने देखे बड़े बड़े , जैसे कि दौलत लूट रहे,
नित नित रूप बना कर के,ये लगे रिझाने जनता को,
भूल गये सब अपनी करनी,लगे मनाने जनता को,
आज वही सपना जब टूटा,रात न काटे कटती है,
नेताजी की दुखी आत्मा, दोपहरी सी तपती है.
जब से खड़े हुए है,साहिब,इस चुनाव के महासमर मे,
रूपिया खूब लुटाए फिरते,गाँव से लेकर शहर शहर मे,
सोच रहे थे की पैसे से, वोट खरीदा जाता है,
लेकिन चोट मिला इतना की, दर्द नही अब जाता है,
फिर भी देखो मुँह से कितनी मीठी बात टपकती है,
नेता जी की दुखी आत्मा,दोपहरी सी तपती है.
पाँच साल पहले जब जीते,तब तो गायब हुए जनाब,
अब भी चेहरे पर डाले है,सच्चाई का झूठ नकाब,
परख चुकी है जनता इनके, तरकश के सब तीरों को,
इसीलिए तो धूल चटाया ऐसे ,कायर वीरों को,
जीत नही पाए ये लेकिन,अब भी चाह पनपती है,
नेता जी की दुखी आत्मा,दोपहरी सी तपती है.
नेताजी की दुखी आत्मा, दोपहरी सी तपती है.
आज कल दुखी है,आप के सात्वनाओं की ज़रूरत है,वोट नही दिए तो सात्वना ही दे दीजिए,वैसे भी ये मार्केट मे फ्री मिलता है.
जवाब देंहटाएंलो भई, हमारी सांत्वना तो साथ है.
जवाब देंहटाएंमौज है किस्मत नेताजी की जनता यहाँ तड़पती है।
जवाब देंहटाएंआँख मूँदकर फिर क्यों जनता उसका माला जपती है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
एक कहावत है न की ..............अब पछतावत होत का जब चिडिया चुग गई खेत ,
जवाब देंहटाएंहमारे नेताजी का भी यही हाल है । जब जनता ने सर माथे बिठाया तो उसे भूल गए और अब उसे कोस रहे है । खैर नेता जी के दोपहरिया तो ऐसे ही कटेगी । सुंदर पोस्ट ऐसे ही लिखते रहिये .....
हमारी भी सांत्वना
जवाब देंहटाएंरोचक
जवाब देंहटाएंआपकी चिठ्ठी चर्चा समयचक्र में
अब तो नेताओं की जेब हवाई जहाज में कटती है
जवाब देंहटाएंकाटता है भोला जिसकी है तीन पत्नियां
मंगोलपुरी दिल्ली और याहियागंज लखनऊ का निवासी है
गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम आए इसका अभिलाषी है
देखें 31 मई 2009 के समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित समाचार।