॥ एक ॥
हवाओं में जहर हर तरफ मिला है
राह में जो बिछड़ा वो कब मिला है
फेफड़े हैं कुन्द और नब्ज मद्धम
दिमाग भी है बन्द,मुंह सिला है
हर वक्त खुलकर सोचने वालो,
आसपास ये कौन-सा किला है
दूर से नजर आता है हरा-भरा
पास आकर देखिए निरा पीला है
मत रहो घोड़े की सूं बांधकर पट्टी
राह में दाएं-बाएं भी उपवन खिला है
रूठे-मनाएं, रूठ जाएं फिर से
जिन्दगी का तो यही सिलसिला है
पर्वत जो सामने है कोई बात नहीं
हां, एक उत्साही से कब हिला है
॥ दो ॥
मासूम सवालों का जमाना नहीं रहा
चालाक हैं सब ,कोई सयाना नहीं रहा
औरों की बुनियाद में हो गए पत्थर
खुद का चाहे कोई ठिकाना नहीं रहा
फटी हुई गुदड़ी के लाल हैं हम भी
अलग बात है, कोई घराना नहीं रहा
सी लिए होंठ सबने मूंद ली आंखें
शायद कसने को अब ताना नहीं रहा
बहारों के दरीचों पर है प्रवेश निषेध
जाएं कहां अब कोई वीराना नहीं रहा
समझेगा नहीं कोई मोहब्बत का जुनून
हीर-सी दीवानी,फरहाद दीवाना नहीं रहा
सिर-से पैर तक बदल गई है दुनिया
फैशन में कोई चलन पुराना नहीं रहा
आओ उत्साही से भी मिल लें चलकर
चर्चा में उसका अफसाना नहीं रहा
0 राजेश उत्साही
राजेश उत्साही की दो ग़ज़लें
Posted on by राजेश उत्साही in
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दोनों ही गज़लें बेहतरीन हैं.
जवाब देंहटाएंअच्छी हैं ..
जवाब देंहटाएंलगता है लीवर
जवाब देंहटाएंपिएला है।
पसंद आई..
जवाब देंहटाएंवाचस्पति जी,
जवाब देंहटाएंपान बीड़ी सिगरेट तम्बाकू न शराब
अपन को तो मोहब्बत का नशा है जनाब
इसलिए लीवर के फीवर से दूर हैं हम
आज के परिप्रेक्ष्य में बहुत ही बेहतरीन गज़लें । बधाई स्वीकार करें ।
जवाब देंहटाएंउत्साही जी
जवाब देंहटाएंआपके जैसे परम उत्साहियों का राज जानते हैं हम
जो पीते हैं पानी खूब और हवा में सीते हैं सांस
पानी और हवा से मोहब्बत का है जादुई करिश्मा
लीवर का रिलीवर है पानी 'ओ' हवा का चश्मा।
लिखीं है आपने बहुत बेहतर ये गज़ल,
जवाब देंहटाएंलगता है अब मैं भी करूं ऐसी ही पहल.
बेहतरीन हैं दोनों ग़ज़लें
जवाब देंहटाएंबधाई हमारी भी ले लें ....
शुक्रिया
जवाब देंहटाएंकिसके लिए लिखता हूं मुझको पता नहीं
समझे वही जिसको अपनी कहन सी लगे
बहुत ही बढिया
जवाब देंहटाएंमासूम सवालों का जमाना नहीं रहा
जवाब देंहटाएंचालाक हैं सब, कोई सयाना नहीं रहा
बहुत सामयिक और संजीदा गजल से नवाजने के लिए शुक्रिया।
आप कतई चिंता न करें कि आप चर्चा में नहीं हैं। आप चर्चा में तो खूब हैं बस हल्ला नहीं है। चर्चा अपनों के बीच होती है, अपनों के बीच ही चलती रहती है। एक खुशबू भरे माहौल में आपकी रोशनी फैलती रहती है। शुभकामनायें।
हवाओं मे जहर के साथ प्रेम भी है, इधर उधर भी तो देखिए।
जवाब देंहटाएंवैसे गजल अच्छी है, बधाई।
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