एक ग़ज़ल

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  • सुभाष नीरव
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  • सुभाष नीरव


    दिखने में मुझको अ यारो सागर जैसा लगता है
    अपनी प्यास लिए वो लेकिन मारा-मारा फिरता है

    झिलमिल करते शीशमहल-से, आँखों में सपने अनगिन,
    कहीं टूट कर बिखर न जाएँ, पलक झपकते डरता है

    राह अंधेरी और अनजानी, फिर भी मंज़िल ढूँढ़ रहा
    उसके भीतर कहीं यकीनन, आस का दीपक जलता है

    सर पे छत हो, तन पे कपड़ा, पेट की ख़ातिर रोटी हो,
    इतना भर मिल जाए उसको, दुआ यही वो करता है

    जब जब चोट उसे लगती है, दर्द इधर भी होता है
    उसका शायद हमसे ‘नीरव’, बहुत पुराना रिश्ता है।
    00

    30 टिप्‍पणियां:

    1. वाह भाई सुभाष जी,क्या खूबसूरत गज़ल फ़रमाया है।गजल की अंतर्वस्तु बहुत ही लाजबाव है।

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    2. जब जब चोट उसे लगती है दर्द इधर भी होता है
      उसका शायद हमसे नीरव बहुत पुराना रिश्ता है

      कमाल की ग़ज़ल कही है आपने सुभाष जी...एक बेहद हसीन इतफाक है की मैंने जो एक ग़ज़ल हाल ही में पोस्ट की थी उसका एक शेर आपके शेर से कितना मिलता जुलता है...मैंने कहा था:

      खार तेरे पाँव में 'नीरज' चुभे
      नीर मेरे नैन, बरसाने लगे

      नीरज

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    3. वाह ! वाह ! वाह !
      हरेक शेर मुक्कम्मल,लाजवाब ,काबिले दाद ! इतनी खूबसूरत ग़ज़ल पढने का मौका देने के लिए शुक्रिया !!

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    4. नीरज जी, आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ। आपके शे'र के और मेरे शे'र के भाव बहुत आसपाक है। आप तो बहुत अच्छी ग़जलें बहुत पहले से लिख रहे हैं। यह इत्तेफ़ाक ही है कि मेरा शे'र आपका शे'र बहुत करीबी लगता है। मैंने तो अभी हाल ही में ग़ज़ल कहने की कोशिश की है। बहुत डर डर कर लिखता हूँ क्योंकि मुझे ग़ज़ल की बह्र और इसकी तकनीक की बहुत कम जानकारी है। अपने अग्रजों को जो ग़ज़ल की खासी अच्छी समझ रखते हैं और खुद ग़ज़ल कहते हैं, जैसे प्राण शर्मा जी, की सलाह मैं लेता रहता हूँ। आपका पुन: धन्यवाद, हौसला अफ़जाई के लिए।

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    5. ghazal to khoobsoorat hai hee . antim char panktiyon me uskee atma bastee hai.

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    6. Subash Neerav continue to write such ghazals portraying concerns of the common man/woman in our society,
      Along with your hindi poems, I will appreciate, if you can also post on your blog 20 best Hindi poems written in the last 20 years.
      As a Canadian Punjabi poet, I will love to read the best Hindi poetry.
      With best wishes,
      Sukhinder
      Editor: SANVAD
      www.canadianpunjabiliterature.blogspot.com
      www.sukhinder.blogspot.com
      kavitavan.blogspot.com
      Toronto ON Canada

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    7. Respected Subhasha Neerav saheb ki ghazal kamaal ki ghazal hai. Mujhey khaas taur par pehley 3 sheyer bahut ziada acchey laggey. Yahan quote karne ke liye Copy karke paste karna chahti thi...I guess ur site does not allow readers to copy the material posted. I will appreciate if this concern is taken care of.
      Coming back to Neerav saheb's ghazal, it is aqwesome. Aapko aur Neerav saheb ko bhaut bahut mubarak ho. Both thumbs up!

      Best
      Tandeep Tamanna
      Vancouver, Canada
      punjabiaarsi.blogspot.com

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    8. भाई भगीरथ जी ने मेल करके अपनी टिप्पणी मुझे भेजी है, उसे यहाँ ज्यूँ का त्यूँ दे रहा हूँ -

      इस तेवर की गज़ल ज्ञानसिन्धु के लिये भी भेजे। शेर मुकम्मिल है।
      टिप्प्णी लिखी थी लेकिन ब्लोगर खाता स्वीकार नहीं कर रहाथा खैर्।
      -भगीरथ
      bhagirath_gyansindhu@yahoo.com

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    9. Ek khubsurat Ghazal ke liye bhai Subhash Neerav aur prakashit karane ke liye Nukkar ko badhai.

      Chandel

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    10. BHAI AVINASH JEE,
      AAPKA DHANYAVAAD KI AAPNE PRASIDH
      SAHITYAKAR JANAAB SUBHASH NEERAV KEE DIL KO CHHOO
      LENE WAALEE GAZAL PADHVAAYEE HAI.BHAVISHYA MEIN
      BHEE UNKEE GAZALEN PADHVAAEEYEGA.

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    11. जब जब चोट उसे लगती है दर्द इधर भी होता है
      उससे शायद हमसे नीरव बहोत पुराना रिस्ता है...

      नीरवजी,
      क्या कहूँ ...??
      हर शेर लाजवाब है पर ये वाला तो छू गया...बहोत खूब...!!

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    12. भाई सुरेश नीरव जी,
      ग़ज़ल वाकई आपने बहुत अच्छी लिखी है. बधाई स्वीकार करें.

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    13. भाई सुरेश नीरव जी,
      ग़ज़ल वाकई आपने बहुत अच्छी लिखी है. बधाई स्वीकार करें.

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    14. उम्दा शेर....बढिया गज़ल....

      अब और क्या कहें?

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    15. जब इतने लोग तुम्हारी गजल की तारीफ कर चुके हों तो मेरी क्या मजाल है कि मैं एक लफ्ज भी इधर-उधर कहूँ। हालाँकि गजल का दूसरा शेर मुझे कुछ बाहर जाता-सा महसूस हो रहा है, भाव की नहीं, मात्रा की दृष्टि से। लेकिन भाई अशोक मिश्र जितना भी नहीं कि दो बार क्लिक की अपनी टिप्पणी में वह सुरेश नीरव को न भूल सके। नीरज गोस्वामी का शेर आपके शेर से काफी अलग है। इस तरह टटोलने लगें तो हर भाव कहीं न कहीं मेल खा ही जाता है। कुल मिलाकर यह कि बहुत-बहुत बधाई! लगे रहो…

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    16. subhash ji ki ghazal aadhunik aadmi ki khandit mansik avstha ki bahut yatharthak aur khubsurat peshkari hai...har sher kamaal hai par palak jhapkne se sapno k gir k tutne kaa ahsas lajwab hai...bahut vadhai....amarjeet kaunke, patiala, punjab

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    17. आप सभी मित्रों, अग्रजों का मैं बहुत आभारी हूँ कि आपने मेरी ग़ज़ल पर इतनी गर्मजोशी से अपनी टिप्पणियां देकर मेरा हौसला बढ़ाया। भाई अशोक मिश्र जी, आपकी तरह बहुत से लोग मुझे कादम्बिनी वाले मेरे कवि मित्र सुरेश नीरव से जोड़ देते हैं। आपसे यह गलती हुई तो कोई ताजुब्ब की बात नहीं है।

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    18. बहुत उम्दा.

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    19. Aap jitni achchi kahaniyan likhte hain utna hi achcha gajal bhi.Har pankti asar chodti hai.Badhai.

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    20. एक की तारीफ करूं तो
      दूसरा नाराज न हो जाए
      इसलिए तारीफों का भेज
      रहा हूं पुलिंदा, ऐसे ही
      लिखते रहो सदा जिंदा।

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    21. इतनी अच्‍छी लगी गजल हम
      मंत्रमुग्‍ध और ठगे से रह गए।
      देखते रहे प्रशंसकों को और
      विवेक हमारा खो गया नतीजा
      शून्‍य हम हो गए।

      नुक्‍कड़ कहीं मिला नहीं
      और बीच लाईन में मैं लगा नहीं
      रात भर खड़ा रहा और सिलसिला
      गजल की तारीफों का टूटा नहीं।

      अब नंबर आया है बाईसवां
      ऐसे ही लिखते रहो जिंदा
      हो जाएंगे शेर एक दिन
      देखना जरूर एक दिन।

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    22. जब जब चोट उसे लगती है दर्द इधर भी होता है
      उसका शायद हमसे नीरव बहुत पुरान रिश्ता है।

      बहुत खूब...!
      नीरज जी की ही तरह कभी मैने भी इसी भावने से लिखा था

      आसमाँ रोया है तो, धरती का मन क्यों भीगा है,
      इतने दूर बसे लोगो को कौन जोड़ता है आखिर...!

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    23. सुभाष नीरव जी की गज़ल दिलो-दिमाग़ पर छा जाने वाली रचना है । अनुभूतियों की सान्द्रता बहुत गहराई तक प्रभावित करती है ।
      रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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    24. सुश्री अलका सिन्हा ने अपनी टिप्पणी मुझे मेल की है जिसे मैं यहाँ दे रहा हूँ :-

      Aadarniya Subhashji,

      ' Nukkad ' per prakashit aapki ghazal padhi. Bhav me nishchhalta aur bhasha me saralta achchhi lagi. Vishwas hai ki 'aas ka yeh deepak' 'roshni ki lakiren' kheenchta rahega !
      -Alka Sinha

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    25. subhash neerav ki ghazal bahut umda aur dil men gahari utar jane wali samvedana ka sailav hai badhai

      suresh yadav

      email sureshyadav55@gmail.com

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    26. aadhik vyastta ke karan mei aapki gajal padne me
      deri kar gaya hoon iska malal hei lekin ek achhi
      gajal padkar bahut aachha laga iske liye mei aapko badhai deta hoon aasha hai ki aap sanand hogen

      ashok andrey

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    27. Sushri Anjana Bakshi ne meri gazal par apne comments mujhe mail kiye hain, jinhe main yahaN par de raha hun:-

      Aapki gajal behad khubsurt h,zindgi ki hakikt or man ki komal bhavnao ko vayat karti,meri shubhkamnye.
      good day
      anjana
      anjanajnu5@yahoo.co.in

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    28. Dikhne main mujhko woh yaaro!...
      Ikwinder Singh
      Hoshiar Pur.

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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