भारत एक कृषि प्रधान देश है. और यह बात हम सब पढ्ते हुये बड़े हुये है. भारत आज भी गांव और कस्बे मॅ ही बस्ता है. 5 से 10 प्रतिशत की आबादे अगर खुद को बहुत ऊचा मान ले तो इस बात से कुछ अंतर नही पड़्ता. आज भी हम ऐसे गांव देख सकते है जहाँ रौशनी के नाम पर बल्ब की जगह लालटेन ही टिमटिमता मिलेगा. कोई एक-दो लोग ही 10 वीं पास मिलेंगे. और जन-सामन्य आज भी कम्प्यूटर के अनजान है. हाँ केरल की तर्ज पर अब तक किसी और राज्य ने ऐसा कोई कीर्तिमान नही किया है.
क्यॉकि भारत एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाला देश है इस लिये हम आपना यह स्वरूप कभी नही खो सकते. पर हमारा किसान आज भी अभावॉ की राजनीति मॅ पिसा हुआ है. भ्रष्टाचार ने देश के हर तंत्र के खोखला कर रखा है.
मै कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के एक गांव मे अपने किसी मित्र के परिवार के लोगॉ से मिलने गया था. वहाँ का जो हाल देखा तो मेरे होश उड़ गये. जिस प्रकार हमारे शहर मॅ सास-बहू से धारवाहिकॉ ने कहर ढा रखा है, वहाँ गांव मॅ लोग-बाग धार्मिक नाटकॉ के नशे का शिकार है. अपने परिवार के विकास का चिंतन करने की बजाय वो सारा सारा दिन टी.वी से चिपके रह्ते हैं. बच्चे तो बच्चे बूढे और जवान भी इसमॅ पीछे नही है. ना जाने कब इस मनोरंजन आतंकवाद के हमारे समाज को मुक्ति मिलेगी. देश के विकास की बात छोड़िये हम सब अपने विकास की योजना तक नही बना रहे है.
आज के नेता सिर्फ और सिर्फ दलगत राजनीति तक ही सोचते है. किसी को इस देश के लोगॉ से कोई लेना-देना नही है. अगर उन्हॅ कुछ चाहिये तो वोट और उस वोट के बदले मॅ वो चोट के सिवा समाज को कुछ नही दे सकते. नेताऑ ने देश को अगर इसके सिवा कुछ दिया है तो वो है भ्रष्टाचार से भरी शासन व्यवस्था.
गाहे बगाहे देश का प्रत्येक नागरिक इन सभी चुनौतियॉ से लड़्ना चाहता है. हम मॅ से हर एक चाहता है कि देश-समाज मॅ अमन हो चैन हो, लोग शांति से जी सकॅ. आपसी सदभाव हो. प्रेम के पुष्प हर दिल मॅ खिलॅ. हम सब अपने दिलॉ मॅ ये बात जानते हैं कि हम आपस मॅ किसी भी मज़हब से नफरत नही करते. हम पडोस मॅ रहने वाला हमार पडोसी नही हमारा भाई होता है. पर हमारे देश का जन सामान्य थोड़ा भावुक है. शातिर लोगॉ के बातॉ मॅ आकर भावनाऑ मॅ बह जाता है. और यह सही-गलत का अंतर भूल जाता है. और अपने ही शरीर पर प्रहार कर के खुद को ही घायल करलेता है. इसे ठीक करने का उपाय हमॅ ही करना होगा. हम यह समस्या किसी को आउट्सोर्स नही कर सकते.
बस एक मात्र उपाय है. पूरे देश को शिक्षा के प्रकाश से जगमगाना होगा. लोगॉ के दिलॉ मॅ बैठे उस अज्ञान रूपी अन्धकार को मिटाकर ही हम नई चेतना को जन्म दे सकॅगे. और वो चेतना ही वह शक्ति है जो हमारी हर सामाजिक समस्या का समाधान होगी. आइये हम सब प्रण करॅ कि शिक्षा के प्रकाश को जन-जन तक ले जाने मॅ हम भी यथा सामर्थ्य योगदान दॅगे. और स्वयं को सक्षम, समर्थ और जाग्रत बनाकर भारत देश को नई ऊचाईऑ तक ले जाऍगे. मेरा आप सभी से यही अनुरोध
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सही कहा है आपने.....पूरे देश को शिक्षा से जगाना होगा।
जवाब देंहटाएंसब शिक्षित हों-तभी देश सही मायने में तरक्की करेगा.
जवाब देंहटाएंयदुवंशी जी ने एक बहुत ही अच्छा मुद्दा उठाया है.
जवाब देंहटाएंशिक्षा की अलख जगाने के लिए
जवाब देंहटाएंलख लख मन में तकना होगा।