सकारात्मक दृष्टिकोण

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  • मनुदीप यदुवंशी
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  • एक समय म्रेरे जैसा एक युवा नौकरी पाने की इच्छा से अपने मार्ग पर बढा जा रहा था. अचानक उसके सिर के ऊपर एक पक्षी ने उड़्ते हुए हवा मॅ बीट (मल-त्याग) कर दी जो उस युवक के साफ-सुथरे सिर पर जा गिरी. इस पर उस युवक ने कहा,"चलो अच्छा है कि गाय-भॅसॅ अकाश मॅ नही उड़्ती, नही तो आज...

    5 टिप्‍पणियां:

    1. वाकई ऐसा सकारात्मक दृष्टिकोण पाना भी नायाब है. :)

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    2. वाह !!! कहानी के माध्‍यम से क्‍या सीख दी है पाठकों को आपने !!!

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    3. अगर डायनासोर उड़ते होते तो
      चालक सभी जो चलते कहीं भी
      सिर पर हेलमेटयुक्‍तछतरी
      अवश्‍य धारण करते
      यह भी हो सकता है कि
      छतरी की जगह टोकरी
      लगी होती, फिर उसे
      भरने पर रिप्‍लेस करवाना
      आवश्‍यक होता।

      ... अगर वैसा होता
      तो ऐसा अवश्‍य होता
      न जाने कैसा कैसा होता
      कहीं कोई रोता तो
      सामने वाला हंस रहा होता।

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    4. bahut accha...positive thinking hamesha accha hota hai..

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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