हे सूर्य...तुम कब आओगे...
माना तम है खूब घना,
असमंजस का जाल बना,
अन्धियारी इस कोठी मे,
तुम कब दीप जलाओगे ?
हे सूर्य..तुम कब आओगे ?
रस्ता भूला, पथ ना सूझे,
मेरी पीड़ा कोई ना बूझे,
नही सहायक संगी कोई,
मन की सारी शक्ती खोई,
ऐसे मे क्या तुम भी अपना
दामन हाथ छुडाओगे ?
हे सूर्य...तुम कब आओगे
हे सूर्य...तुम कब आओगे...
Posted on by बेनामी in
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नये साल का नया सवेरा
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भैय्या,
जवाब देंहटाएंसूर्य, नही आयेगा
उसे अभी चमकना है उनके आँगन में
जहाँ वह भी देख सकता है नंगे जिस्म
आँखें सेक सकता है कुछ देर और सुस्ता सकता है.
तुम्हारे घर उसे पकानी होगीं रोटियाँ,
गर्म करना होगा पानी
सुखाने होंगे कपड़े तुम्हारे लिये
या दिन भर चमकना होगा
तुम्हारे अंधेरे कमरे में जहाँ तुम बल्ब भी नही जलाते हो
सूर्य,
क्यों कर आये तुम्हारे पास
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मुकेश कुमार तिवारी
आपको तथा सभी देशवासियों को नववर्ष की शुभकामनायें.
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