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शारीरिक संबंधों पर हिन्‍दी ब्‍लॉगरों के विचार और सुप्रीम कोर्ट (अविनाश वाचस्‍पति)

मॉडरेशन हटाया जा रहा है। अपने विचार प्रकाशित न करवाने के इच्‍छुक सीधे ई मेल पर ही अपने विचार प्रेषित कीजिएगा



तमिल अभिनेत्री खुशबू के वर्ष 2005 में लिव इन रिलेशनशिप और विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों पर जाहिर की गई उनकी निजी राय के बाद एक हडकंप मच गया था। उसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने शादी के बिना बालिग मर्द और औरत के सेक्‍स को अपराध मानने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का ऑब्‍जरवेशन है कि शादी से पहले सेक्‍स अपराध नहीं है। लिव इन रिलेशनशिप में रहना भी अपराध नहीं है। जब दो लोग साथ रहना चाहते हों तो इसमें अपराध क्‍या है ?
आप इस बारे में क्‍या सोचते हैं, इस बारे में अपने विचार बेबाक होकर प्रकट करें और निश्चिंत रहें यदि आप चाहेंगे कि आपकी पहचान जाहिर न की जाए, तो कतई जाहिर नहीं की जाएगी। सावधानी के लिए इस पोस्‍ट पर टिप्‍पणियां मॉडरेशन लागू कर दिया गया है और बेनामी टिप्‍पणियों की अनुमति नहीं दी गई है। पहचान देते हुए अपनी राय देने के लिए हिन्‍दी ब्‍लॉगरों और सुधी जनों का स्‍वागत है। प्राप्‍त विचारों के आधार पर सिर्फ उन्‍हीं के नाम और पहचान का जिक्र किया जाएगा जो चाहेंगे अन्‍यथा सिर्फ उनकी राय को सम्‍मान दिया जाएगा। इसे आप एक सर्वे मान सकते हैं। इसी आधार पर एक लेख की प्रस्‍तुति की जाएगी। अपने विचार इस पोस्‍ट में प्रकाशित न देखने के इच्‍छुक अपने विचार मेरी ई मेल tetaalaaa@gmail.com या avinashvachaspati@gmail.com पर ही भेजें।
वैसे आप सब परिचित ही हैं कि शरीर नश्‍वर है। देह भौतिक है जिसे अतीत में समा जाना है। पर स्‍वस्‍थ विचार दिशाप्रेरक होते हैं। विचार सनातन हैं।
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