संस्कृति के दलालों और ठेकेदारों ने तो नाक में दम कर रखा है । एक बाद एक घटनाएं हो रही है जो कि हमारी संस्कृति को धूमिल कर रही हैं। मंगलूरू के पब के बाद अब संघ परिवार के कुछ कार्यकर्ताओं के हाथों तंग आकर एक सोलह साल की बच्ची ने खुद को सरेआम बेइज्जत पाकर अपना अन्त कर लिया।
अश्वनी नाम की यह लड़की ९ क्लास में पढ़ती थी । वह अपने साहेली के साथ बस में चढ़ी । दोनों दोस्तों को रास्ते में उनका दोस्त सलीम मिल गया । वे वेन्नूर की तरफ जा रहे थे। बजरंग दल वालों ने रास्ते में उसे घेर लिया और एक मुस्लिम से संबंध रखने पर उसकी बेइज्जती की और लडके की धुनाई भी। लोगों ने पुलिस को बुलाया तो पुलिस बजरंग दल पर कार्यवाही करने के बजाय सलीम और लड़की को पुलिस स्टेशन ले गयी । माता पिता को थाने बुलाया गया । सलीम से माफीनामा लिखवाया गया । इस सबसे आहत होकर बच्ची ने जान दे दी ।
समाज में हिन्दूवादी झण्डा लेकर चलना ही सभ्यता और संस्कृति को बचाना नहीं है । जो ये घटना हुई इसका जिम्मेदार कौन है ? पुलिस की जवाबदेही और कायरता की जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है । समाज में संतुलन लाने के लिए ऐसे काम तुच्छ और घटिया ही कहे जायेंगे। किसी जाति को निशाना बना के धर्म को नहीं बचाया जा सकता है । बल्कि धर्म की इज्जत करना आना चाहिए। तब सभ्यता और संस्कृति महान होती है । केवल मारपीट और बेइज्जती करके समाज को अच्छा नहीं बनाया सकता है।
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अश्वनी नाम की यह लड़की ९ क्लास में पढ़ती थी । वह अपने साहेली के साथ बस में चढ़ी । दोनों दोस्तों को रास्ते में उनका दोस्त सलीम मिल गया । वे वेन्नूर की तरफ जा रहे थे। बजरंग दल वालों ने रास्ते में उसे घेर लिया और एक मुस्लिम से संबंध रखने पर उसकी बेइज्जती की और लडके की धुनाई भी। लोगों ने पुलिस को बुलाया तो पुलिस बजरंग दल पर कार्यवाही करने के बजाय सलीम और लड़की को पुलिस स्टेशन ले गयी । माता पिता को थाने बुलाया गया । सलीम से माफीनामा लिखवाया गया । इस सबसे आहत होकर बच्ची ने जान दे दी ।
समाज में हिन्दूवादी झण्डा लेकर चलना ही सभ्यता और संस्कृति को बचाना नहीं है । जो ये घटना हुई इसका जिम्मेदार कौन है ? पुलिस की जवाबदेही और कायरता की जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है । समाज में संतुलन लाने के लिए ऐसे काम तुच्छ और घटिया ही कहे जायेंगे। किसी जाति को निशाना बना के धर्म को नहीं बचाया जा सकता है । बल्कि धर्म की इज्जत करना आना चाहिए। तब सभ्यता और संस्कृति महान होती है । केवल मारपीट और बेइज्जती करके समाज को अच्छा नहीं बनाया सकता है।