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मुझे तो मंदिर बहुत प्‍यारा है इसमें मिला माल ढेर सारा है पर यहां पर चर्चा कुछ और है

हिन्‍दी ब्‍लॉगरों की पसंद क्‍या है
इसके बारे में बतला रहे हैं
हर दिल अजीज
प्रिय भाई मासूम

मंदिर प्‍यारा है
मंदिर में क्‍योंकि धन हमारा है
कैसे
इसे जानेंगे
बाद में आप
जब बतलाएंगे हम आपको जनाब
जो भटक जाएं
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पर यहां पर पहले से कर जाएं
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बगीची पर चर्चा विशेष : लेख और कविताओं की सुंदर बानगी

अब तो चवन्नी बराबर भी नहीं हमारी हैसियत !

देश में गली-मुहल्लों के दुःख-दर्द को लेकर आवाज़ उठाने वाला कोई 'चवन्नी छाप ' अब कहीं नजर नहीं आएगा . किसी भी पार्टी में कोई 'चवन्नी सदस्य' नहीं होगा . अब किसी चुनावी मौसम में लोग 'एक चवन्नी तेल में - अमुक जी गए जेल में ' जैसा दिलचस्प नारा सुनने को भी तरस जाएंगे . किसी भिखारी को दया भावना से चवन्नी देने पर वह लेने से साफ़ इनकार कर देगा ,हालांकि भिखारी अब तो अठन्नी भी नहीं लेना चाहते .फिर चवन्नी भला क्यों लेने लगे ? और चाहें तो यहां चटकाएं, पूरी बगीची में घूम फिर जाएं
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बगीची ब्‍लॉग पर एक नये इस्‍टाइल की चर्चा : इसमें भी खर्चना सिर्फ दिमाग ही है जितना खर्च करोगे उतना होगा तेज

बगीची का बनना
बनाना
उसमें बनाना का आना
बगीची में फूलों का मुस्‍काना
पौधों का अंकुरित होना
फिर गति पाना
खुद में सिमटना
फिर खिलखिलाना
अंकुर बनता है पौधा
और फिर पेड़
देता ही देता है
बगीची का हर सितारा
चमक दमक और
जीने की एक ललक
चाहे धूप हो घनी
फिर भी छांव बनी
शीतल
मासूम
जी हां
आए हैं
चर्चा करने
बगीची में उलीचने
विचारों का नेह
एस एम मासूम
तो रहें न गुम
न हों सुम
यहां चटकाएं
बगीची पर पहुंचें
और बतलायें
कैसी लगी
क्‍या चाहतें हैं
और क्‍या अरमान
सभी को अपना मान

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संस्कृति के ठेकेदार ने ली मासूम की जान । आखिर कैसे बचेगी हमारी सभ्यता और संस्कृति ?

संस्कृति के दलालों और ठेकेदारों ने तो नाक में दम कर रखा है । एक बाद एक घटनाएं हो रही है जो कि हमारी संस्कृति को धूमिल कर रही हैं। मंगलूरू के पब के बाद अब संघ परिवार के कुछ कार्यकर्ताओं के हाथों तंग आकर एक सोलह साल की बच्ची ने खुद को सरेआम बेइज्जत पाकर अपना अन्त कर लिया।
अश्वनी नाम की यह लड़की ९ क्लास में पढ़ती थी । वह अपने साहेली के साथ बस में चढ़ी । दोनों दोस्तों को रास्ते में उनका दोस्त सलीम मिल गया । वे वेन्नूर की तरफ जा रहे थे। बजरंग दल वालों ने रास्ते में उसे घेर लिया और एक मुस्लिम से संबंध रखने पर उसकी बेइज्जती की और लडके की धुनाई भी। लोगों ने पुलिस को बुलाया तो पुलिस बजरंग दल पर कार्यवाही करने के बजाय सलीम और लड़की को पुलिस स्टेशन ले गयी । माता पिता को थाने बुलाया गया । सलीम से माफीनामा लिखवाया गया । इस सबसे आहत होकर बच्ची ने जान दे दी ।
समाज में हिन्दूवादी झण्डा लेकर चलना ही सभ्यता और संस्कृति को बचाना नहीं है । जो ये घटना हुई इसका जिम्मेदार कौन है ? पुलिस की जवाबदेही और कायरता की जितनी भी भर्त्‍सना की जाए कम है । समाज में संतुलन लाने के लिए ऐसे काम तुच्छ और घटिया ही कहे जायेंगे। किसी जाति को निशाना बना के धर्म को नहीं बचाया जा सकता है । बल्कि धर्म की इज्जत करना आना चाहिए। तब सभ्यता और संस्‍कृति महान होती है । केवल मारपीट और बेइज्जती करके समाज को अच्छा नहीं बनाया सकता है।
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