मेरा कहना है कि दीवानेपन की डॉक्टरी पूरे विश्वास के साथ कुमार ने की है। इसकी कोई मिसाल नहीं है।

250 रुपये की कविता की किताब
बेच गए लिखकर कुमार विश्वास
किताब पर लिखा कुमार विश्वास
लोगों को मिला अथाह विश्वास
दीवानेपन की देखी अजब सौगात
बेच गए लिखकर कुमार विश्वास
मुस्कान उनकी दिल जीत ले गई
250 की किताब 287 बिक गईं
दो दिन में
आगरापन दीवानापन सब कुछ इसमें है
डायमंड से छपी है डायमंड ने बुनी है
इनमें कई रिकार्ड बने हैं
एक ग्यारह वर्षीय बच्चे ने
पूरी कविता वहीं पर सुनाई
जिसे कई टी वी चैनलों ने
रिकार्ड करके प्रसारित किया।
कोई दीवाना कहता है
कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूं तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है
या मेरा दिल समझता है
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
..............................
यहां सब लोग कहते हैं मेरी आंखों में आंसू हैं
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है
(कुमार विश्वास ने यह भी माना है कि
: अच्छा कवि होना बुरा इंजीनियर होने से बेहतर है)
कारण भी बतलाया उन्होंने, पर वो कारण आप
कुमार विश्वास से सीधे सुनिये।
टेढ़े मत होइये :-
समंदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
पूरा सुनने और देखने के लिए क्लिक करें