tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post8995540315329459903..comments2024-03-07T19:38:46.484+05:30Comments on नुक्कड़: इतनी कटुता...? इतनी घृणा...?अविनाश वाचस्पतिhttp://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-81297426759182011062009-11-10T21:47:34.031+05:302009-11-10T21:47:34.031+05:30भाई क्या कहूं, परन्तु प्रोफ़ेसनल प्रतिद्वंदिता को न...भाई क्या कहूं, परन्तु प्रोफ़ेसनल प्रतिद्वंदिता को निजी नहीं करना चाहिए ।विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-51386308045740367752009-11-09T15:12:55.700+05:302009-11-09T15:12:55.700+05:30समाचार पत्रों के माध्यम से अपनी गठरी भरने में लगे ...समाचार पत्रों के माध्यम से अपनी गठरी भरने में लगे ऐसे लोगों का कुछ नहीं हो सकता। ऐसे लोगों को प्रभाष जी के महत्व का अन्दाजा भी नहीं होगा।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-36242719090109505682009-11-08T22:13:51.576+05:302009-11-08T22:13:51.576+05:30कोई मसखरा या भांड मरता है तो भी खबर बना लेते हैं ऐ...कोई मसखरा या भांड मरता है तो भी खबर बना लेते हैं ऐसे लोग मगर एक बेमिसाल संपादक की चले जाना शायद उन्हे खबर नही लगी।पत्रकारिता का सबसे काला अध्याय है ये।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-22203220470557575962009-11-08T20:53:02.017+05:302009-11-08T20:53:02.017+05:30ye bhi hota hai janaab.........
PAPPUON ki kami n...ye bhi hota hai janaab......... <br />PAPPUON ki kami nahin is SANSAAR men. (ya kahen ki JAG men JUG men)राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-48901164806294299772009-11-08T17:38:37.440+05:302009-11-08T17:38:37.440+05:30समाचार पत्रो मै आज समाचार होते ही कहा है , यह सब ब...समाचार पत्रो मै आज समाचार होते ही कहा है , यह सब बिक गये है ओछी राजनीती ओर घटिया नेतओ के हाथो.....राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-34660425746486664522009-11-08T15:00:42.608+05:302009-11-08T15:00:42.608+05:30क्या करोगे भाई. महान पत्रकार प्रभाष जोशी की कीमत ऐ...क्या करोगे भाई. महान पत्रकार प्रभाष जोशी की कीमत ऐसे लोग नही समझेगे. इन्हे तो देश के चाटूकारो,दलालो...से मतलब है. घीन आती है ऐसे अखबारो और उसके मालिक-सम्पादको पर.mukeshhttps://www.blogger.com/profile/00833890654408122883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-47247121534041419672009-11-08T14:28:30.143+05:302009-11-08T14:28:30.143+05:30असल में ये पत्रकार ही नहीं हैं, अखबार निकालकर स्व...असल में ये पत्रकार ही नहीं हैं, अखबार निकालकर स्वयं का विज्ञापन करते हैं या फिर स्वयं के लोगों का। खबरों से इनका कोई लेना देना नहीं है। व्यक्तिगत दुश्मनी से चलते हैं ये लोग।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-32769574799977681052009-11-08T11:04:45.144+05:302009-11-08T11:04:45.144+05:30घटिया मानसिकता, ओछी पत्रकारिता, चाटुकार सम्पादक…घटिया मानसिकता, ओछी पत्रकारिता, चाटुकार सम्पादक…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-16672591129861866992009-11-08T10:24:27.336+05:302009-11-08T10:24:27.336+05:30ab kya kahen aise logon ko........?ab kya kahen aise logon ko........?डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-73221749844937377042009-11-08T09:36:16.634+05:302009-11-08T09:36:16.634+05:30देखा मरने से डर गया नवभारत टाइम्स इसलिए आज पेज नं...देखा मरने से डर गया नवभारत टाइम्स इसलिए आज पेज नंबर 12 पर सिंगल कॉलम की एक खबर छाप ही दी।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-48117928767872272372009-11-08T05:43:48.289+05:302009-11-08T05:43:48.289+05:30ओछी राजनीती पत्रकारिता में यहाँ तक पैठी है की पत...ओछी राजनीती पत्रकारिता में यहाँ तक पैठी है की पत्रकार स्वाभाविक शिष्टाचार ही भूलने लगे हैं जो लोकतान्त्रिक व्यवस्था के मजबूत और आवश्यक अंग या औजार माने जाते रहे है ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.com