tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post8560202818229172720..comments2024-03-07T19:38:46.484+05:30Comments on नुक्कड़: सर्वत जमाल का कहना है : आप सुन-समझ रहे हैं न ?अविनाश वाचस्पतिhttp://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-45970937534225461782010-08-05T22:09:29.457+05:302010-08-05T22:09:29.457+05:30यह टिप्पणी मुझे मेल पर प्राप्त हुई है, क्योंकि ...यह टिप्पणी मुझे मेल पर प्राप्त हुई है, क्योंकि टिप्पणी बॉक्स में रवि राय जी के यहां से पोस्ट नहीं हो पा रही है :-<br /><br />सर्वत जमाल से मेरा याराना 1978 से है जब वह गोरखपुर का रूपोर्ट मर्डाक हुआ करता था . विज्ञापन की दुनिया का बेताज बादशाह ! मैं उस वक्त ताज़ा ताज़ा 'जागरण' में सम्पादकीय प्रशिक्षु भर्ती हुआ था .मेरी लिखी हुई खबरों और हेडिंग पर अक्सर सम्पादकीय विभाग में चर्चा होती थी जिसमे सर्वत भी शामिल रहता था.तड़ित दादा तथा बाद में अखिलेश मिश्र की चेलहटी में हमारी दोस्ती पनपी जो आज बत्तीस साल बाद भी कायम है. उसकी खुद्दारी, हातिमताईपने और लाख दुश्वारियों में भी हमेशा नार्मल दिखने की आदतों ने उसे परेशान ही किया है, मगर यही तो उसका सर्वतजमालपन है जो उससे छूटता ही नहीं.नौकरी हमेशा सर्वत के लिए फ़ुटबाल जैसी रही जिसे उसने हमेशा लतियाया .बड़े बड़ों को सर्वत ने उनकी औकात दिखाई .सर्वत आज मेरे लिए बिलकुल अनजान सी, ना जाने किस दुनिया में जी रहा है, ना जाने किन लोगों से उसका साबका है ,ना जाने क्या उसकी मसरूफियतें हैं - मुझे नहीं पता फिरभी इतनी तो तसल्ली थी ही कि जहां भी है ,जैसे भी है ,ठीक ही होगा ,गत सप्ताह मैं सपरिवार लखनऊ गया था . सर्वत के घर ही ठहरा .मुझसे पहले मेरी पत्नी ने ही भांप लिया कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है. बहुत कुरेदने पर भी सर्वत तो सामान्य रहने का नाटक करता रहा मगर अंततोगत्वा रात में चलते चलते अलका भाभी ने सिर्फ इतना ही कहा कि घर पहुँच कर "नुक्कड़"ब्लॉग पढ़ लीजियेगा .गोरखपुर आ कर ब्लॉग देखा तो सारा माज़रा समझ में आया .दूसरे चाहे जितनी भी दुश्मनी करें मगर यहाँ तो सर्वत के अपनों ने ही उसे मर्मान्तक चोट पहुंचाई है.उसे वेदना के समंदर में डुबो दिया है.लानत है ऐसे लोगों और उनकी नीच प्रवृत्ति पर.<br /> भईया- मैं तो कोई साहित्यिक जीव हूँ नहीं . इस तरह की घटनाएँ देख सुनकर यही कहूँगा कि शुक्र है कि मुझे इस जंजाल से कोई लेना देना भी नहीं है,सिर्फ सर्वत की दशा से चिंतित हूँ.<br /> गोरखपुर में एक बहुत बड़े कवि हुआ करते थे -विद्याधर द्विवेदी 'विज्ञ' .-<br /> "धरती पर आग लगी /पंछी मजबूर है/क्योंकि आसमान बड़ी दूर है ." <br /> लोग 'विज्ञ' जी को निराला का अवतार कहा करते थे .उन्हें मंच पर सदा अंत में ही बुलाया जाता था क्योंकि उनके बाद कवि सम्मेलन ख़त्म हो जाता था .उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही गयी ,मगर कुछ लोगों की ईर्ष्या, कुछ षड्यंत्रों के वे शिकार हुए और इतनी मानसिक चोट पहुँची कि पागल हो गए .'बबूल के फूल ' जैसी दुर्लभ गीतावली का कवि ना जाने कब शहर की एक मज़ार पर गुमनाम सी मौत मर गया उनकी लाश को शायद श्रद्धांजलि के फूल भी नहीं नसीब हुए .<br /> सिद्धार्थनगर में जो भी वाकया हुआ उसे जानने के बाद यही कहूँगा कि शेरोशायरी की संवेदनशील दुनियां में सर्वत जमाल जैसे एक संवेदनशील इंसान की संवेदनाओं को इतनी बेरहमी से कुचलनेवाले कभी भी सच्चे साहित्यकार नहीं हो सकते- हाँ दूकानदार जरूर होंगे जिन्हें शायद सर्वत की खुद्दारी रास नहीं आयी .<br /> "पड़ गए राम कुकुर के पाले"<br />और अंत में सर्वत के शेर से ही बात पूरी करता हूँ-<br /> रोटी लिबास और मकानों से कट गए ,हम सीधे सादे लोग सयानों से कट गए<br /> 'सर्वत' जब आफताब उगाने की फ़िक्र थी,सब लोग उलटे सीधे बहानों से कट गए <br /> ------रवि राय ,गोरखपुर <br /> <br />-- <br />From-<br />Ravi Royअविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-33035370211366172452010-08-04T08:11:03.223+05:302010-08-04T08:11:03.223+05:30पूरा घटनाक्रम बेहद दुखद रहा। पहले तो एक शायर का अप...पूरा घटनाक्रम बेहद दुखद रहा। पहले तो एक शायर का अपमान किया गया और वो भी अपने आप को शायर कहलाने वाले शख्‘ा ने. फिर किसी ने अपने ब्लाग पर दुर्घटना पर खेद व्यक्त करना तक जरूरी नहीं समझा यानि सोची समझी रणनीति के तहत। जब यहां मामला खुल गया तो बताया गया कि वहां जोर-जोर से पहले ही मांफी मांगी ली गई थी, अपनी साख का इस्तेमाल तक मामले को दबाने के लिए किया गया, मुद्दे को भटकाने के लिए रूपयों की बात पर जोर दिया गया, सर्वत जी की लोकेशन तक बताई गई कि वे अभी गोरखपुर में हैं अब इलाहाबाद में हैं वे तो वीनस को कमेन्ट करने से भी इन्कार कर रहे हैं जबकि वीनस ने बजाय उनका अनुरोध मानने के किसी और का ही आदेश माना और सर्वत जी पर उल्टे सवाल दाग दिये। पोस्ट प्रकाशित करने वालों को शातिर और न जाने क्या-क्या कहा गया। <br />सर्वत जी के बयान से पता हो रहा है कि वहां माफी जैसा कुछ नहीं मांगा गया बल्कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद आंगन में ‘आंगन मुशायरा‘ हुआ। लो एक और झूठ।<br />अपनी गलती सुधारने के कई मौके मिले लेकिन दुर्याेग से किसी का फायदा नहीं उठाया गया गलती सुधारने के बहाने मित्र लोग एक और झूठ बोलकर चुप हो गये।<br />मुझे इस पूरे घटनाक्रम पर कोई हैरत नहीं हुई क्योंकि अंधभक्ति सबसे पहले विवेक को नश्ट करती है(अमरेन्द्र-कुछ इधर से कुछ उधर से) ये सब इसी का परिणाम है। ये तो होना ही था। मैं तो ये सोच रहा हूं कि सच की पैरोकारी क्या अपनी ग़ज़लों में भी ये लोग ऐसे ही करेंगे या फिर ऐसी ग़ज़लें के स्थान पर सतही, लिजलिजी रूमानियत से भरपूर।<br />हम किसी पर दवाब तो नहीं डाल सकते है कि वह सही बात का समर्थन करे सिर्फ ईश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं कि प्रभु उन्हें ऐसा करने की ताकत और बुद्धि देें।संजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/00532701630756687682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-43296636860388237962010-08-03T22:49:58.130+05:302010-08-03T22:49:58.130+05:30:):)manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-18060918914927033712010-08-03T22:48:39.039+05:302010-08-03T22:48:39.039+05:30aapkaa / hamaaraa commeint hi khudaa khudaa karke ...aapkaa / hamaaraa commeint hi khudaa khudaa karke chhapaa hai.....manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-8657613247193563372010-08-03T22:42:17.847+05:302010-08-03T22:42:17.847+05:30aapkaa / hamaaraa commeint hi khudaa khudaa karke ...aapkaa / hamaaraa commeint hi khudaa khudaa karke chhapaa hai.....manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-84239108695063254942010-08-03T00:47:26.066+05:302010-08-03T00:47:26.066+05:30कहते हैं जख्मों को छुपा कर रखो इनको हवा न लग जाये...कहते हैं जख्मों को छुपा कर रखो इनको हवा न लग जाये <br />बताओ ये दोस्त हैं या दुश्मन ए इल्म इन्हें क्या कहा जाये <br /><br />सच है कह लेने से हो जाता है दिल का बोझ तनिक कम<br />मत यार बुरा मानो सच सामने आया है इसे हंस के सहा जाये <br /><br />जुर्म की आदत है खामोश बने रहना या वकीलों से काम लेना <br />बज्मे शऊर में दिल खोलने वाले का इस्तकबाल किया जाये<br /><br />सभी जानना चाहते थे कि वाकया क्या हुआ . बड़ी सख्या में ब्लोग्गेर्स ने दोनों पक्छों से सचाई बताने का आग्रह किया था इसलिए अगर सर्वत साहब ने अपना बयान दर्ज कराया है तो इसका इस्तकबाल किया जाना चाहिए और इसी क्रम में अब समय आ गया है कि वाकये के चश्म दीदों को सामने आकर यहाँ टिप्पणी देनी चाहिए <br />.वर्ना नेतागिरी के ज़माने में शातिर नेताओं की नो कमेन्ट की ढाल से हम सभी परिचित हैं .ब्लोगार्रों की खुली चौपाल पर मौसी को ही नहीं जुम्मन को भी अपनी बात कहने का हक है .ये ब्लॉगर पंचायत ही है जहाँ अभी भी अलगू में पञ्च परमेश्वर का वास है .<br />अगर कोइ अपना पक्छ नहीं रखना चाहता है तो फैसला एक तरफ़ा ही जायेगा .<br />एक बार फिर से गुजारिश है कि वाकये के चश्म दीदों को सामने आकर यहाँ टिप्पणी देनी चाहिए .उन्हें बताना चाहिए कि दरअसल ऐसा क्या हुआ था जो यह परिस्थिती बन गयी ? वरना जाहिर है कि सच का सामना करने का साहस उस समय बड़े लोगो के मन में आ गया छोटापन नहीं कर प़ा रहा है . <br /><br />बात तो आयी गयी हो जायेगी पर वक़्त अपना काम करता जायेगा<br />बे आवाज़ है लाठी खुदा की ,एक दिन, ये सबकी समझ में आएगाUnknownhttps://www.blogger.com/profile/14503009212336443543noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-29007061051042516462010-08-03T00:31:32.846+05:302010-08-03T00:31:32.846+05:30भुल जाये भाई इस घटना को ओर आईंदा ऎसे लोगो से दुर र...भुल जाये भाई इस घटना को ओर आईंदा ऎसे लोगो से दुर रहे, अपनी इज्जत अपने हाथ मै होती है, अब भुल ही जाये, लेकिन आप कभी किसी के संग भुल से भी ऎसा ना करेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-7953047643971369682010-08-02T22:34:30.091+05:302010-08-02T22:34:30.091+05:30जो कुछ भी हुआ, वह अच्छा नहीं हुआ। इसकी निन्दा की ज...जो कुछ भी हुआ, वह अच्छा नहीं हुआ। इसकी निन्दा की जानी चाहिए।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-25709315206691426902010-08-02T20:32:55.314+05:302010-08-02T20:32:55.314+05:30निसंदेह घटना दुखद थी .....पर सार्वजनिक तौर पे इत...निसंदेह घटना दुखद थी .....पर सार्वजनिक तौर पे इतने क्षमा के बाद किस चीज़ की उम्मीद है ....समझ नहीं पाया ?एक अच्छा इन्सान होना अच्छा लिखने से ज्यादा जरूरी है ...ओर क्षमा करना भी उसी ओर कदम बढ़ाना है ....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-62421160236202820952010-08-02T17:48:23.477+05:302010-08-02T17:48:23.477+05:30aachi rachna. bhadhai svikar kare.aachi rachna. bhadhai svikar kare.hindustanihttps://www.blogger.com/profile/10886364008818351407noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-82545147027530539612010-08-02T17:34:31.099+05:302010-08-02T17:34:31.099+05:30mujhe bilkul bhi hairat nahin ho rahi ki ab yahaan...mujhe bilkul bhi hairat nahin ho rahi ki ab yahaan koi sach bolne nahin aa raha.संजीव गौतमhttps://www.blogger.com/profile/00532701630756687682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-75491714698313977402010-08-02T15:21:49.734+05:302010-08-02T15:21:49.734+05:30जो कुछ भी हुआ, वह अच्छा नहीं हुआ। इसकी निन्दा की ज...<b><br />जो कुछ भी हुआ, वह अच्छा नहीं हुआ। इसकी निन्दा की जानी चाहिए।<br /></b><br />…………..<br /><a href="http://ss.samwaad.com/" rel="nofollow">स्टोनहेंज के रहस्यमय पत्थर।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">क्या यह एक मुश्किल पहेली है?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-43154161592143252982010-08-02T13:09:59.205+05:302010-08-02T13:09:59.205+05:30कहाँ गयी सामाजिक चेतना और कहाँ गये शिष्टाचार,क्या ...कहाँ गयी सामाजिक चेतना और कहाँ गये शिष्टाचार,क्या यह समाज का आईना बन गया है ।Vinashaay sharmahttps://www.blogger.com/profile/14896278759769158828noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-11624755342948061112010-08-02T11:17:37.916+05:302010-08-02T11:17:37.916+05:30बहुत दिनों से नेट पर नहीं आ सकने के कारण पहले ये प...बहुत दिनों से नेट पर नहीं आ सकने के कारण पहले ये पोस्ट नहीं पढ़ सकी ..... आज जब पुरानी मेल चेक की तो अविनाश जी की मेल में ये लिंक्स मिले ... तब जाकर इस घटना का पता चला .<br />मैंने सिद्दार्थनगर पर लिखी गयी सारी पोस्ट पढ़ी और ये जाना कि कहीं भी सर्वत जी के मंच पर बैठे होने का जिक्र तक नहीं है ..... न ही किसी ने भी कोई फोटो में उन्हें मंच पर बैठा दिखाया है ..... उन्हें पाठ पढने का मौका नहीं मिला, हालात ऐसे हो गए ... बहुत अजीब सी बात है, क्या वाकई ऐसा ही हुआ ? <br /><br />सर्वत जी एक बहुत अच्छे शायर हैं मुझे यकीन है कि कई मुशायरों में पहले भी शिरकत कर चुके होंगे और आगे भी करते रहेंगे<br />सवाल बस ये है कि जब इस तरह की बेइज्जती अपने ही करेंगे तो कैसे कोई किसी अपने पर भरोसा कर सकेगा, ये सब पढ़ कर तो मंच से डर लगने लगा<br /><br />पारिश्रमिक वाली बात भी मुझे हजम नहीं हुई .... कंचन के ब्लॉग से पता चला कि सर्वत जी ने तो आर्थिक मदद मुहैया करवाई थी जिसने मदद मुहैया करायी हो वो पारिश्रमिक क्यूँ लेना चाहेगा मेरे ख्याल से ये मुद्दे से भटकने वाली बात है ......<br /><br />कंचन, वीनस, अर्श, गौतम जी ये सभी नाम मेरे खास दोस्तों के हैं, गौतम जी की मैं बहुत इज्जत करती हूँ और कंचन की बहादुरी से बेहद प्रभावित रही हूँ... सर्वत जी के साथ हुए इस व्यवहार से मन बहुत दुखी है .... जो हो गया उसे मिटाया तो नहीं जा सकता मगर फिर भी उम्मीद करती हूँ कि हमारे ब्लॉग का खूबसूरत माहोल फिर से लौट आएगा .. मन से बैर भाव दूर होंगे, हम सब पहले की तरह सिर्फ और सिर्फ साहित्य / शायरी / कविता से प्रेम करेंगे.श्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-40823402029832782222010-08-02T09:51:08.505+05:302010-08-02T09:51:08.505+05:30@ भाई सर्वत जमाल ,
न जाना कि दुनिया से जाता है कोई...@ भाई सर्वत जमाल ,<br />न जाना कि दुनिया से जाता है कोई <br />बहुत देर की मेहरबां, आते आते ! <br /><br />शायद यह बढ़िया आयोजन पंकज सुबीर जी की मदद के बिना सफल ही नहीं हो पाता, मुझे विश्वास है कि उनके होते, उनके निर्णय पर उंगली उठाने का औचित्य और साहस वहां उपस्थित अन्य माननीय और निर्दोष लोगों को नहीं था और परिस्थितियां देखते हुए होना भी नहीं चाहिए था !<br /><br />अक्सर ऐसे मंच पर अगर दो एक जैसे शक्तिशाली रचनाकार उपस्थित हों तो पंकज सुबीर जैसे मशहूर प्रकाशक,संचालक,ग़ज़ल गुरु की दुविधा समझने का प्रयत्न किया जा सकता है ...किसी अन्य की नाराजी झेलने से अच्छा, सर्वत जमाल को बाद में मना लेने का विकल्प अधिक अच्छा और आसान था ! और बाद में उन्हें छोड़ने जाने के लिए खुद पंकज सुबीर का जाना शायद इसी विकल्प और दुविधा का एक हिस्सा था ! <br /><br />मुझे इसमें कंचन सिंह चौहान जो बहुत संवेदनशील और ईमानदार महिला हैं, का कोई दोष नहीं दिखता, वे मेजबान थीं और इस निर्णय में उनका हस्तक्षेप बनता ही नहीं था ! वैसे भी गुरु के समक्ष वे क्या कहतीं , दुखित थीं और उन्होंने उसे जाहिर भी किया !<br /><br />सर्वत भाई का ध्यान मैं दुबारा आदरणीय और निष्पक्ष कविता वाचक्नवी के कडवे कमेंट्स की और दिलाना चाहता हूँ .... मंच पर क्या होता है हम सब तो जानते हैं कहीं मजबूरी में और कहीं जानबूझ कर यह तो होता ही रहेगा ! सो गलती अपमानित की भी मानी जाए !<br /><br />अब इस कडवी घटना को भुला दें, लाईट ले यारSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-42501524537566285702010-08-02T09:17:25.907+05:302010-08-02T09:17:25.907+05:30मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होत...मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होती तो आप क्या करते ?<br /><br /><br /><br />SHUKRIYA ADAA...!!manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-26329062632748852502010-08-02T05:54:35.320+05:302010-08-02T05:54:35.320+05:30दु:खद.दु:खद.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-79218509970537714042010-08-02T00:50:25.998+05:302010-08-02T00:50:25.998+05:30मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होत...<b>मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होती तो आप क्या करते ? सवाल में एक और सवाल है-- अगर संचालक कोई ए बी सी होता तो भी क्या सभी का रवैया यही होता ? </b><br />क्या करता यह तो कभी इस तरह होगा तब पता चलेगा लेकिन जहां तक मैं अपने को जानता हूं मैं कभी इस तरह की पोस्ट नहीं लिखता। न ही पिछली पोस्ट पर कंचन और गौतम राजरिशी की बार-बार क्षमा मांगने वाली बातों के बाद यहां इस पोस्ट पर लिखता-<b>हाँ, कंचन मेरी बहन हैं, मैं उनके दरवाजे पर बेइज्जत हुआ, उन्होंने भी आज तक मुझे कोई फोन या मेल नहीं किया, क्यों ? </b> इसके बजाय जो कहना होता अपनी तरफ़ से उसको कहकर उसको सांत्वना बंधाता कि कार्यक्रमों में तो इस तरह होता ही जाता है। आयोजन कंचन का था। उसमें गलती किसी की भी हो उसकी छीछालेदर करने से अंतत: दुख तो कंचन को ही होगा।<br /><br />मैं अगर होता तो ऐसा कोई काम न करता जिससे आयोजक जिसे मैं अपना आत्मीय और छोटा मानता हूं उसको दुख पहुंचता। संचालक चाहे ए बी सी डी से लेकर जेड तक कोई भी होता। यहां तो जैसा वीनस केसरी ने पिछली पोस्ट में लिखा सर्वतजी नगरी-नगरी,द्वारे-द्वारे घूम-घूम कर कह-सुन रहे हैं कि कमेंट मत करना ऐसा करना वैसा मत करना। <br /><br />एक तरफ़ आप उसको (कंचन को) बहन मान रहे हैं और दूसरी तरफ़ घुमा-फ़िराकर उसको नीचा दिखाने और शर्मिन्दा करने के लिये डायलागबाजी कर रहे हैं। कैसी आपकी संबंधों के प्रति संवेदना है शायर साहब? इससे तो लगता है शायर की संवेदनायें सब फ़र्जी हैं।<br /><br />मैंने पिछली पोस्ट में टिप्पणी करते हुये लिखा था-<b>सर्वत जमाल जी शायर बहुत बड़े होंगे लेकिन अगर यह सब वे पढ़ रहे हैं और इस मसले पर मौन हैं तो मेरी नजर में आदमी बहुत छोटे हैं। ऐसा लग रहा है कि अपनी जिंदगी में आखिरी बार मुशायरे में शिरकत करने का मौका छीन लिया गया उनसे कुशीनगर में। </b><br />यह लिखने के बाद मुझे अफ़सोस हुआ था लेकिन अब यहां सर्वत साहब की कंचन से अपेक्षायें और अभियोग लगाने का शातिराना अंदाज देखकर लगा कि मैंने पहली पोस्ट की टिप्पणी में कुछ गलत नहीं लिखा था।<br /><br />अविनाश वाचस्पतिजी को अनुरोध के बावजूद पिछली पोस्ट में अनामी टिप्पणीकार Lalit Kumar की वहां मौजूदगी से यह लगता है कि सनसनी वाली अनाम टिप्पणियों से बहुत प्यार करते हैं भले ही वे किसी के खिलाफ़ ही क्यों न हों!<br /><br />पोस्ट नीचे से ऊपर उठाने के लिये जिनकी टिप्पणी यहां लगाई गयी उनका बयान पढ़ने के बाद उनकी इज्जत मेरे मन में और नीचे हो गयी। हालांकि इससे किसी का कुछ बिगड़ता नहीं लेकिन मैं अपने मन की बात तो कह ही सकता हूं। <br /><br />पिछली पोस्ट पर वीनस का सर्वत साहब से पूछा गया सवाल अभी तक अनुत्तरित है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-67682692513912892642010-08-02T00:50:09.999+05:302010-08-02T00:50:09.999+05:30मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होत...<b>मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होती तो आप क्या करते ? सवाल में एक और सवाल है-- अगर संचालक कोई ए बी सी होता तो भी क्या सभी का रवैया यही होता ? </b><br />क्या करता यह तो कभी इस तरह होगा तब पता चलेगा लेकिन जहां तक मैं अपने को जानता हूं मैं कभी इस तरह की पोस्ट नहीं लिखता। न ही पिछली पोस्ट पर कंचन और गौतम राजरिशी की बार-बार क्षमा मांगने वाली बातों के बाद यहां इस पोस्ट पर लिखता-<b>हाँ, कंचन मेरी बहन हैं, मैं उनके दरवाजे पर बेइज्जत हुआ, उन्होंने भी आज तक मुझे कोई फोन या मेल नहीं किया, क्यों ? </b> इसके बजाय जो कहना होता अपनी तरफ़ से उसको कहकर उसको सांत्वना बंधाता कि कार्यक्रमों में तो इस तरह होता ही जाता है। आयोजन कंचन का था। उसमें गलती किसी की भी हो उसकी छीछालेदर करने से अंतत: दुख तो कंचन को ही होगा।<br /><br />मैं अगर होता तो ऐसा कोई काम न करता जिससे आयोजक जिसे मैं अपना आत्मीय और छोटा मानता हूं उसको दुख पहुंचता। संचालक चाहे ए बी सी डी से लेकर जेड तक कोई भी होता। यहां तो जैसा वीनस केसरी ने पिछली पोस्ट में लिखा सर्वतजी नगरी-नगरी,द्वारे-द्वारे घूम-घूम कर कह-सुन रहे हैं कि कमेंट मत करना ऐसा करना वैसा मत करना। <br /><br />एक तरफ़ आप उसको (कंचन को) बहन मान रहे हैं और दूसरी तरफ़ घुमा-फ़िराकर उसको नीचा दिखाने और शर्मिन्दा करने के लिये डायलागबाजी कर रहे हैं। कैसी आपकी संबंधों के प्रति संवेदना है शायर साहब? इससे तो लगता है शायर की संवेदनायें सब फ़र्जी हैं।<br /><br />मैंने पिछली पोस्ट में टिप्पणी करते हुये लिखा था-<b>सर्वत जमाल जी शायर बहुत बड़े होंगे लेकिन अगर यह सब वे पढ़ रहे हैं और इस मसले पर मौन हैं तो मेरी नजर में आदमी बहुत छोटे हैं। ऐसा लग रहा है कि अपनी जिंदगी में आखिरी बार मुशायरे में शिरकत करने का मौका छीन लिया गया उनसे कुशीनगर में। </b><br />यह लिखने के बाद मुझे अफ़सोस हुआ था लेकिन अब यहां सर्वत साहब की कंचन से अपेक्षायें और अभियोग लगाने का शातिराना अंदाज देखकर लगा कि मैंने पहली पोस्ट की टिप्पणी में कुछ गलत नहीं लिखा था।<br /><br />अविनाश वाचस्पतिजी को अनुरोध के बावजूद पिछली पोस्ट में अनामी टिप्पणीकार Lalit Kumar की वहां मौजूदगी से यह लगता है कि सनसनी वाली अनाम टिप्पणियों से बहुत प्यार करते हैं भले ही वे किसी के खिलाफ़ ही क्यों न हों!<br /><br />पोस्ट नीचे से ऊपर उठाने के लिये जिनकी टिप्पणी यहां लगाई गयी उनका बयान पढ़ने के बाद उनकी इज्जत मेरे मन में और नीचे हो गयी। हालांकि इससे किसी का कुछ बिगड़ता नहीं लेकिन मैं अपने मन की बात तो कह ही सकता हूं। <br /><br />पिछली पोस्ट पर वीनस का सर्वत साहब से पूछा गया सवाल अभी तक अनुत्तरित है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-62763793341564358032010-08-02T00:49:40.057+05:302010-08-02T00:49:40.057+05:30पंकज सुबीर जी
आप यहां आ'कर कुछ क्यों ...<b><i>पंकज सुबीर जी </i></b> <br /><br /><b>आप यहां आ'कर कुछ क्यों नहीं कहते !</b><br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-63348897162514083172010-08-02T00:44:26.424+05:302010-08-02T00:44:26.424+05:30मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होत...<b>मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होती तो आप क्या करते ? सवाल में एक और सवाल है-- अगर संचालक कोई ए बी सी होता तो भी क्या सभी का रवैया यही होता ? </b><br />क्या करता यह तो कभी इस तरह होगा तब पता चलेगा लेकिन जहां तक मैं अपने को जानता हूं मैं कभी इस तरह की पोस्ट नहीं लिखता। न ही पिछली पोस्ट पर कंचन और गौतम राजरिशी की बार-बार क्षमा मांगने वाली बातों के बाद यहां इस पोस्ट पर लिखता-<b>हाँ, कंचन मेरी बहन हैं, मैं उनके दरवाजे पर बेइज्जत हुआ, उन्होंने भी आज तक मुझे कोई फोन या मेल नहीं किया, क्यों ? </b> इसके बजाय जो कहना होता अपनी तरफ़ से उसको कहकर उसको सांत्वना बंधाता कि कार्यक्रमों में तो इस तरह होता ही जाता है। आयोजन कंचन का था। उसमें गलती किसी की भी हो उसकी छीछालेदर करने से अंतत: दुख तो कंचन को ही होगा।<br /><br />मैं अगर होता तो ऐसा कोई काम न करता जिससे आयोजक जिसे मैं अपना आत्मीय और छोटा मानता हूं उसको दुख पहुंचता। संचालक चाहे ए बी सी डी से लेकर जेड तक कोई भी होता। यहां तो जैसा वीनस केसरी ने पिछली पोस्ट में लिखा सर्वतजी नगरी-नगरी,द्वारे-द्वारे घूम-घूम कर कह-सुन रहे हैं कि कमेंट मत करना ऐसा करना वैसा मत करना। <br /><br />एक तरफ़ आप उसको (कंचन को) बहन मान रहे हैं और दूसरी तरफ़ घुमा-फ़िराकर उसको नीचा दिखाने और शर्मिन्दा करने के लिये डायलागबाजी कर रहे हैं। कैसी आपकी संबंधों के प्रति संवेदना है शायर साहब? इससे तो लगता है शायर की संवेदनायें सब फ़र्जी हैं।<br /><br />मैंने पिछली पोस्ट में टिप्पणी करते हुये लिखा था-<b>सर्वत जमाल जी शायर बहुत बड़े होंगे लेकिन अगर यह सब वे पढ़ रहे हैं और इस मसले पर मौन हैं तो मेरी नजर में आदमी बहुत छोटे हैं। ऐसा लग रहा है कि अपनी जिंदगी में आखिरी बार मुशायरे में शिरकत करने का मौका छीन लिया गया उनसे कुशीनगर में। </b><br />यह लिखने के बाद मुझे अफ़सोस हुआ था लेकिन अब यहां सर्वत साहब की कंचन से अपेक्षायें और अभियोग लगाने का शातिराना अंदाज देखकर लगा कि मैंने पहली पोस्ट की टिप्पणी में कुछ गलत नहीं लिखा था।<br /><br />अविनाश वाचस्पतिजी को अनुरोध के बावजूद पिछली पोस्ट में अनामी टिप्पणीकार Lalit Kumar की वहां मौजूदगी से यह लगता है कि सनसनी वाली अनाम टिप्पणियों से बहुत प्यार करते हैं भले ही वे किसी के खिलाफ़ ही क्यों न हों!<br /><br />पोस्ट नीचे से ऊपर उठाने के लिये जिनकी टिप्पणी यहां लगाई गयी उनका बयान पढ़ने के बाद उनकी इज्जत मेरे मन में और नीचे हो गयी। हालांकि इससे किसी का कुछ बिगड़ता नहीं लेकिन मैं अपने मन की बात तो कह ही सकता हूं। <br /><br />पिछली पोस्ट पर वीनस का सर्वत साहब से पूछा गया सवाल अभी तक अनुत्तरित है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-42471403946970999202010-08-02T00:06:44.638+05:302010-08-02T00:06:44.638+05:30@ 1st
>> >> >>. >>>>...@ 1st<br /><br />>> >> >>. >>>>manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-15895045914987583622010-08-02T00:04:41.535+05:302010-08-02T00:04:41.535+05:30इस कमबख्त ब्लॉग पर ही मोडिरेशन लगा हुआ है...
क...इस कमबख्त ब्लॉग पर ही मोडिरेशन लगा हुआ है...<br /><br /><br />कोई कुछ करना भी चाहेगा तो क्या करेगा....?manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-36787615296990722512010-08-02T00:02:51.071+05:302010-08-02T00:02:51.071+05:30मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होत...मेरा सिर्फ एक सवाल है-- अगर यही घटना आप के साथ होती तो आप क्या करते ?<br /><br /><br /><br /><br />हम तो शुक्रिया अदा करते...manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-62108782690317814062010-08-01T23:30:43.047+05:302010-08-01T23:30:43.047+05:30अब इस के बाद क्या ....................????
सिर्फ...अब इस के बाद क्या ....................???? <br /><br />सिर्फ़ और सिर्फ़ चुप्पी या कुछ और ????<br /><br />मुझ जैसे लोगो के लिए तो सिर्फ़ इंतज़ार ...........और कुछ भी नहीं .............पहले भी था ............अब भी है .........सच का !! एक दोतरफा सच का !!! क्यों हर बार सच एक तरफा रह जाता है ??<br /><br />"या इलाही ये माज़रा क्या है ???"शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com