tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post787640553354457300..comments2024-03-07T19:38:46.484+05:30Comments on नुक्कड़: ‘‘उद्भ्रांत में दृष्टि की व्यापकता और दार्शनिक तत्व’’ -प्रो. निर्मला जैनअविनाश वाचस्पतिhttp://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-55564181039547179002013-06-07T18:44:49.675+05:302013-06-07T18:44:49.675+05:30सुन्दर प्रस्तुति..।
साझा करने के लिए आभार...!सुन्दर प्रस्तुति..।<br />साझा करने के लिए आभार...!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-34245696745705196682013-06-06T16:38:24.535+05:302013-06-06T16:38:24.535+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर... आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर ।। <br /><br />चरखा चर्चा चक्र चल, सूत्र कात उत्कृष्ट । <br /><br />पट झटपट तैयार कर, पलटे नित-प्रति पृष्ट । <br /><br />पलटे नित-प्रति पृष्ट, आज पलटे फिर रविकर । <br /><br />डालें शुभ शुभ दृष्ट, अनुग्रह करिए गुरुवर । <br /><br />अंतराल दो मास, गाँव में रहकर परखा । <br /><br />अतिशय कठिन प्रवास, पेश है चर्चा-चरखा । रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com