tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post7859830600187568508..comments2024-03-07T19:38:46.484+05:30Comments on नुक्कड़: क्या आप फ़ेसबुक व ट्विट्टर पर हैं ?अविनाश वाचस्पतिhttp://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-70053120249178903232011-10-07T10:53:54.448+05:302011-10-07T10:53:54.448+05:30बिलकुल सही आईना दिखाया है आपने.बिलकुल सही आईना दिखाया है आपने.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-57827386080036316532011-09-28T12:35:56.200+05:302011-09-28T12:35:56.200+05:30अजी कवितामय और जीवन दर्शन लिखने वालों की छोड़िए, आ...अजी कवितामय और जीवन दर्शन लिखने वालों की छोड़िए, आजकल लोग अपनी रसोई में बने पकवानों के चित्र,अपने बगीचे में लगी सब्जियों के चित्र भी लगा जाते हैं. चुटकुले तो ठीक थे, आजकल खरीदारी करने जाने से पहले जाने कि खबर भी "न्यूज़ फीड" पर होती है. पर जैसे कीचड़ में कमल, वैसे ही कुछ अच्छाइयाँ भी हैं यहाँ. मसलन किसी भी अच्छे विषय पर लोगों में जागरूकता लाना, कोई नई काम कि जानकारी आदि. <br /><br />आपके लिखने का अंदाज़ बहुत अच्छा है, हलके फुल्के ढंग से भरी भरकम बातें कहना सहज नहीं :)अनूषाhttps://www.blogger.com/profile/09981080689587997280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-20217986950406422762011-09-25T19:49:35.203+05:302011-09-25T19:49:35.203+05:30हम भी फेसबुक और ट्वीटर का प्रयोग केवल ब्लॉग की पोस...हम भी फेसबुक और ट्वीटर का प्रयोग केवल ब्लॉग की पोस्ट की जानकारी देने के लिए करते हैं।<br />यह पोस्ट पढ़कर और डा0 दराल साहब का कमेंट पढ़कर लगा कि ठीक ही करते हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-31488073529773257762011-09-24T10:09:40.002+05:302011-09-24T10:09:40.002+05:30काजल कुमार जी की बातों से तो हम भी १००% सहमत हैं ....काजल कुमार जी की बातों से तो हम भी १००% सहमत हैं . अविनाश जी , आपका नाम पढ़कर लगा जैसे आपने ही पोस्ट लिखी है . <br />खैर हमें तो फेसबुक से ज्यादा वाहियात और कुछ नहीं लगता जहाँ आज की युवा पीढ़ी अपना कर्म धर्म भूलकर आधुनिक संचार व्यवस्था का मिसयूज करते हुए खुद को डिसयूज कर रही है . <br />ब्लॉग पर नियमित और एक निश्चित अंतराल के बाद लिखते रहिये , पाठक और टिप्पणियां मिलती रहेंगी .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-41221900675170622582011-09-24T07:24:25.660+05:302011-09-24T07:24:25.660+05:30फेसबुक और ट्विटर भी समाज का ही आइना हैं। आपकी पोस्...फेसबुक और ट्विटर भी समाज का ही आइना हैं। आपकी पोस्ट रुचिकर है।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-33953070527585953832011-09-23T21:27:37.104+05:302011-09-23T21:27:37.104+05:30डॉ. दराल जी, मैं तो सब जगह रहते भी, कहीं पर भी नही...डॉ. दराल जी, मैं तो सब जगह रहते भी, कहीं पर भी नहीं होता हूं। हां, अपने लेखन कर्म में इनको व्यवधान नहीं, सहायक मानता हूं क्योंकि ब्लॉग पर तो पाठक अब कम आते हैं या आते भी हैं तो टिप्पणी दिए बिना खिसक जाते हैं लेकिन फेसबुक या ट्विटर की एक खास बात है कि वहां चाहे पढ़ा कुछ न जाए परंतु टिप्पणियां और पसंद खूब मिलती हैं और यही मोह वहां पर बांधे रखता है। उनमें से ही कुछ गंभीर पाठक भी मिलते हैं। <br />वैसे ऊपर पोस्ट में पेश विचार काजल कुमार जी के हैं। जिनसे सभी थोड़ा बहुत इत्तेफाक तो रखते ही हैं, मैं भी रखता हूं। वैसे भी समाज में चारों तरफ बुराईयां और अच्छाईयां भरी हुई हैं, इनमें से अच्छाईयों को आत्मसात करना और बुराईयों की तरफ, न तो खुद ध्यान देना और न दूसरों का ध्यान आने देने की जिम्मेदारी भी हमारी है और काजल कमार जी इस जिम्मेदारी को बखूबी निबाहते रहते हैं।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-77844207578610325302011-09-23T21:06:36.438+05:302011-09-23T21:06:36.438+05:30विचारणीय पोस्टविचारणीय पोस्टसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-58440621884491774852011-09-23T21:01:15.709+05:302011-09-23T21:01:15.709+05:30लीग से हट कर है आपकी यह पोस्ट... बढ़िया प्रस्तुति ...लीग से हट कर है आपकी यह पोस्ट... बढ़िया प्रस्तुति <br />समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागता है <br /> http://mhare-anubhav.blogspot.com/Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-4336126331316205122011-09-23T16:57:13.700+05:302011-09-23T16:57:13.700+05:30मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
...मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!<br /> आईआईएम बेंगलुरु की छात्रा मालिनी मुर्मू के आत्महत्या जैसे कदम उठाये जाने से एक बार फिर सोशल-साईट्स में बनाने वाले रिश्तों की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह उठता है,कि बिना-देखे भाले बनाए गए रिश्ते और दोस्ती टिकाउपन के लिहाज से कहीं क्षण-भंगुर तो नहीं...?महज अपनी फ्रेंड-लिस्ट के बड़ा होते जाने को लेकर रोमांटिक होना इस दुनिया का बड़ा शगल है,एक दुसरे के पोस्ट को लाईक करना या उनपर कमेन्ट कर दोस्ती की परिभाषा पूरी नहीं हुआ करती,बल्कि आपसी समझ-और विचारों के आदान-प्रदान द्वारा एक-दुसरे को और-और-और ज्यादा समझते जाना,साथ ही अपनी समझ को विकसित करना भी नेट-दोस्ती की एक महत्वपूर्ण कसौटी बनायी जा सकती है !<br /> इंटरनेट पल-भर में अपनी वैश्विक पहुँच के कारण आज ना सिर्फ सूचनाओं के त्वरित पहुँच का कारण और माध्यम बन चुका है बल्कि हरेक व्यक्ति के अपने विचारों के प्रकटीकरण का सबसे सशक्त माध्यम भी बन चुका है,मगर दोस्ती और संवेदना के लिहाज से यह अब भी खासा निरुत्साहित करने वाला है.क्यूंकि दोस्ती के लिए जान लड़ा देने वाली परम्परागत वैश्विक सोच के बनिस्पत यह दोस्ती अब गोया एक खेल बन चुकी इस माध्यम में....!!और यही इस माध्यम सबसे क्रूर सत्य है !!एक-दुसरे से कोसों-मीलों दूर बैठे लोग जब एक-दुसरे से दोस्ती गांठने का उपक्रम करते हैं तब उनमें कैसी और कितनी समझ होती है एक-दुसरे के प्रति, यह एक सवालिया निशान है इस नेट जगत के दोस्तों के बीच....और इस तरह के मुद्दों के मद्देनज़र हम सबको अपने भीतर भी टटोलना चाहिए कि हम इस दोस्ती में कहाँ तक ईमानदार है...??<br /> वरना एक तरफ तो हो सकता है कि आपके विचारों या आपकी बातों से प्रभावित होकर या आकर्षित होकर कोई आपको अपना दोस्त-प्रेमी-प्रेयसी या कुछ भी बना डालता हो,जबकि आप सिर्फ शब्दडाम्बर रच रहे होंओ....महज एक खेल खेल रहें होंओ....या फिर इसका उलटा भी होओ....कि सामने वाला यही कर रहा हो आपके साथ....!!ऐसे में तो इस नयी दोस्ती से किसी भी प्रकार की अपेक्षा करना भी बिलकुल व्यर्थ है और इससे यह सन्देश भी ध्वनित होता है कि इस तरह की सोशल साईट्स में जाकर दोस्त "निर्मित" करने वाले लोग दोस्ती को दोस्ती के अर्थ में ना लें !!(जहां वाकई लोग दोस्त ही हैं,उनकी बात मैं नहीं कर रहा !!)<br /> और इस करके वो इस तरह की "दोस्तियों" से कुछ भी अपेक्षा ना रखें !!बल्कि किसी भी "नामालूम"आगत के लिए भी खुद को तैयार रखें...क्यूंकि यह बात सदा ध्यान में रखने योग्य है कि जिस जगह आप दोस्ती कर रहे हो,वह सार्वजनिक है (बल्कि सार्वजनिक पैखाना कहूँ तो ज्यादा बेहतर होगा !!)और जहां बहुत सारे लोग टट्टी-पेशाब की तरह भी दोस्ती कर रहें हैं,जिन्हें पहचाना भी नहीं जा सकता......और इसका खुलासा तो तब हो पाता है जब कोई मालिनी मुर्मू फेसबुक पर अपने बॉय-फ्रेंड के खुद के रिश्ते पर सार्वजनिक रूप से कमेन्ट किये जाने पर आत्महत्या जैसा आखिरी कदम उठा लेती है,जिसे मेरे जैसे लोग ह्त्या मानते हैं....मगर इस तरह के बॉय-फ्रेंड जैसे हत्यारे तरह-तरह के तिकड़मी वक्तव्यों से खुद को बचा भी लेते हैं,क्यूंकि वो दरअसल एक ठग हैं!! इसलिए ओ फेसबुकिया दोस्तों सावधान....यहाँ पर हजारों ठग हैं....संभल कर कीजिये दोस्ती....एक शेर तो सूना ही आपलोगों ने....बशीर बद्र का है,कोई हाथ भी ना मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से....ये नए मिजाज का शहर है,ज़रा फासले से मिला करो !!(क्या बशीर जी ने यह सोचा भी होगा कि उनके द्वारा यह लिखे जाने के बाद ऐसी एक वर्चुवल दुनिया पैदा होगी जहां उनका यह शेर बिलकुल सटीक बैठ जाएगा....!!??)राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-11437925847298725922011-09-23T13:25:07.336+05:302011-09-23T13:25:07.336+05:30अविनाश जी , हमने तो फेसबुक का विनाश बहुत पहले ही भ...अविनाश जी , हमने तो फेसबुक का विनाश बहुत पहले ही भांप लिया था , इसलिए छोड़ दिया . <br />लेकिन आप भी तो फेसबुक पर लगे रहते हो . कब छोड़ रहे हो ?डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-34725976312294912702011-09-23T12:14:47.172+05:302011-09-23T12:14:47.172+05:30विचारणीय पोस्ट!
सादरविचारणीय पोस्ट!<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-16328733925751925002011-09-23T11:41:46.919+05:302011-09-23T11:41:46.919+05:30आज 23- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है...आज 23- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....<br /><br /><br /><a href="http://tetalaa.nukkadh.com/2011/09/blog-post_23.html" rel="nofollow"> ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर </a><br />____________________________________संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-72164128541934556682011-09-23T08:54:01.742+05:302011-09-23T08:54:01.742+05:30फेसबुक और ट्विटर को लेकर आपके विचार वास्तव में विच...फेसबुक और ट्विटर को लेकर आपके विचार वास्तव में विचारणीय हैं ,लेकिन मेरे विचार से यह तो अभी-अभी आया अभिव्यक्ति का नया माध्यम है . हर किसी की चाहत होती है कि कोई उसके भी दिल की बात सुने .शायद आधुनिक इंसान की इसी एक चाहत ने रेडियो , टी.वी , कम्प्यूटर और सेलफोन से लेकर आज फेसबुक और ट्विटर जैसे तकनीकी माध्यमों को जन्म दिया है.Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.com