tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post2656191083158209806..comments2024-03-07T19:38:46.484+05:30Comments on नुक्कड़: मक्खनवादी हैं हम भारतीयअविनाश वाचस्पतिhttp://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-52436802498458497832011-02-10T23:27:12.384+05:302011-02-10T23:27:12.384+05:30जन-गणना शुरू हो गयी है. इसमें मक्खनबाजों की भी गि...जन-गणना शुरू हो गयी है. इसमें मक्खनबाजों की भी गिनती होनी चाहिए, ताकि उनकी सही-सही आबादी मालूम हो सके. वैसे आपके इस आलेख को पढ़ कर कुछ-कुछ अंदाज तो लगाया जा सकता है.देश में मक्खन की कीमत भी अगर आसमान छू रही है, तो शायद इसका एक कारण मक्खनबाजों की बढती जनसंख्या है,लेकिन जिनके पास मक्खन खरीदने को रूपए नहीं हैं, वो क्या करें ? तेल भी तो काफी महंगा हो गया है !Swarajya karunhttps://www.blogger.com/profile/03476570544953277105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-5142760797702560052011-02-10T17:31:01.276+05:302011-02-10T17:31:01.276+05:30नहीं पुरा देश चापलूस नहीं है हा ये व्यक्ति विशेस प...नहीं पुरा देश चापलूस नहीं है हा ये व्यक्ति विशेस पर निर्भर है कुछ चापलूसी करके आगे बढ़ जाते है कुछ काम करके कुछ अपनी पहुँच से तो कुछ तिकड़म लगा कर | कुछ चापलूसी भी एक हद तक करते है कुछ उसमे भी बिल्कुल गिर कर तलुए ही चाटने लगते है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-48212969259214135162011-02-10T15:28:52.790+05:302011-02-10T15:28:52.790+05:30मक्खन लगाने की कला अपने आप में निराली है | हाँ यह ...मक्खन लगाने की कला अपने आप में निराली है | हाँ यह बात और है कि यह कला सबको नहीं आती या यूं कहें कि सबको नहीं भाती | स्वाभिमान सर्वोपरि है , स्वाभिमानी और ईमानदार व्यक्ति कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं कर पाता | यह बात और है कि ऐसे लोग लुप्तप्राय हो रहे जीवों की तरह गिनती के ही रह गए हैं | मक्खनबाजी करने वालों की संख्या बहुत है |<br /><br /> आपका लेख मक्खन बाजों के तीन -तिकडमों की कथा ढंग से बयां कर रहा है |सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-14224761159176884832011-02-10T15:01:45.836+05:302011-02-10T15:01:45.836+05:30मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ। न तो हर व्यक्ति मक्...मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ। न तो हर व्यक्ति मक्खनवादी होता है न हर जगह मक्खनवाद चलता है। चापलूस आदमी हमेशा सफल नहीं होता। ऐसे अनेक लोग मिलेंगे जो स्वाभिमानी होते हुए भी अत्यंत सफल हैं।<br />आपका ये लेख बहुत सतही सा लगा। शायद आप व्यंग्य लिखना चाहते थे पर व्यंग्य के तत्वों की कमी है और ये एक गंभीर लेख सा लग रहा है पढ़ने में।सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.com