tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post1529784243945571192..comments2024-03-07T19:38:46.484+05:30Comments on नुक्कड़: " उथले हैं वे जो कहते हैं" (डॉ. जे. पी. श्रीवास्तव)अविनाश वाचस्पतिhttp://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-77159479409126786552010-03-22T11:24:25.321+05:302010-03-22T11:24:25.321+05:30अमिताभ जी की जितनी भी सराहना करू कम है. पिता की र...अमिताभ जी की जितनी भी सराहना करू कम है. पिता की रचना छपवाना- जिसे वे कुछ कारणोंवश नहीं छपवा सके थे - पितृऋण से उऋण होने का, साथ ही पिता पर अपने प्यार, आदर भाव को लुटाने का भी एक सलोना माध्यम लगा मुझे. काश की दुनिया के सभी बेटे-बेटियाँ इसी तरह अपने माता -पिता पर इसी तरह उनके मनपसंद अधूरे काम पूरे करके, उन्हें आलाह्दित करें तो संसार कितना ख़ूबसूरत हो जाए...!!<br /> ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाओं सहित <br /> दीप्तिAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/17015866250667096157noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-65093674500440250132010-03-22T08:28:02.028+05:302010-03-22T08:28:02.028+05:30जहां तक मेरा अनुभव है
१- मुफ्त वस्तु पुस्तक या अन्...जहां तक मेरा अनुभव है<br />१- मुफ्त वस्तु पुस्तक या अन्य कुछ का कोई महत्व नहीं समझता।<br />२- कोई भी पुस्तक अपने पैसे से नहीं छपवानी चाहिये।<br /><br />आप उसे अन्तरजाल पर चिट्ठे पर क्यों नहीं रखते।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-25354430344595935312010-03-22T08:22:57.762+05:302010-03-22T08:22:57.762+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-13925965562058766322010-03-22T01:30:19.771+05:302010-03-22T01:30:19.771+05:30Ati mahatvpoorn
shukriyaAti mahatvpoorn <br />shukriyaबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.com