tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post122806286376420807..comments2024-03-07T19:38:46.484+05:30Comments on नुक्कड़: अब जाने को हैं ये झोला उठा के.अविनाश वाचस्पतिhttp://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-75805546922714782882010-06-06T22:20:24.263+05:302010-06-06T22:20:24.263+05:30समसामयिक।
सार्थक।समसामयिक।<br />सार्थक।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-2074118975497599852010-06-06T19:22:56.049+05:302010-06-06T19:22:56.049+05:30बढ़िया विश्लेषणबढ़िया विश्लेषणGyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-19110250097065414342010-06-06T19:12:05.459+05:302010-06-06T19:12:05.459+05:30बहुत बढ़िया लेख. वामपंथियों के बारे में आपकी आशा क...बहुत बढ़िया लेख. वामपंथियों के बारे में आपकी आशा की दाद देता हूँ मगर सच यह है कि अब तक वहां जब भी सुधार की बात हुई तो एक नया विघटन और एक नया सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ है. देश को दरअसल शिक्षा, विकास और सुशासन की ज़रुरत है. यह होगा तो कोई आतंकवादी संगठन अपने को जनता का संरक्षक नहीं कह पायेगा.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-6509915479300695802010-06-06T18:39:52.287+05:302010-06-06T18:39:52.287+05:30दूरदर्शितापूर्ण विश्लेषण , मगर सवाल यही है कि क्य...दूरदर्शितापूर्ण विश्लेषण , मगर सवाल यही है कि क्या ये वामपंथी सुधरेंगे ? क्या कौंग्रेस फूट डालों, तुष्ठीकरण करो और राज करो की निति छोड़ पायेगी ? नेहरू खानदान से बाहर निकल पायेगी ? मुझे तो नहीं लगता , आजकल आप लोग भी नोट कर रहे होंगे कि एक ख़ास सडयंत्र के तहत जान बूझकर सेना का मनोबल गिराया जा रहा है , क्या जो ये घटनाएं थी पहले नहीं होती थी क्या ? इस लिए हालात सुधरने के आसार तो नहीं दीखते !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-82990941514973249622010-06-06T18:28:34.635+05:302010-06-06T18:28:34.635+05:30"अकर्मण्यता की घुट्टी" ने बंगाल को कंगाल..."अकर्मण्यता की घुट्टी" ने बंगाल को कंगाल बना दिया। सार्थक लेख।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-17193173103696426542010-06-06T17:53:36.159+05:302010-06-06T17:53:36.159+05:30सत्य वचन जी, बहुत सुंदर ओर सटीक लिखा धन्यवादसत्य वचन जी, बहुत सुंदर ओर सटीक लिखा धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-87283693294352793622010-06-06T17:05:21.967+05:302010-06-06T17:05:21.967+05:30अच्छा विश्लेषण। एक पार्टी का वर्चस्व होना लोकतांत्...अच्छा विश्लेषण। एक पार्टी का वर्चस्व होना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7293001434674677831.post-9736905807824076002010-06-06T16:56:52.397+05:302010-06-06T16:56:52.397+05:30बहुत बढ़िया और सार्थक आलेख !बहुत बढ़िया और सार्थक आलेख !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.com