व्‍यंग्‍य का बेलनटाइन भी है कल : श्री हरीश नवल व्‍यंग्‍य श्री - सम्‍मान 2012 - हिंदी भवन 13 फरवरी 2012

बुराईयों को आए झुरझुरी
अच्‍छाईयां भी कंपकंपा जाएं
कि हमारा ही नंबर न आ जाए

श्री से होते हैं शुरू
श्री पर होते हैं संपन्‍न
श्री हरीश नवल व्‍यंग्‍यश्री
आगे श्री पीछे श्री
बीच में होती रहे
बुराईयों की किरकिरी
ऐसे होते हैं जो
उनको मिलती है
व्‍यंग्‍यश्री

इन्‍हें श्रीमती की चाहना नहीं होती
श्री मजबूत होते हैं
तीर तीखे छोड़ते हैं
छोड़ना कौन कहे
नश्‍तर की तरह भोंकते हैं

व्‍यंग्‍य का थाल रहे सजा
हंसने का भी आए मजा
पाठक भी रह जाए ठगा
फिर भी ठग बन जाए

ठगने वाला मन ठग जाए
मानस को यूं ठकठकाए
बत्‍ती हो जिनकी गुल
वह भी सीएफएल से तेज
जगमगाए, किरण गाए।

कल है कार्यक्रम
इमेज पर क्लिक करके जान लेना
बहाना मत बना देना
कि भूल गया था
याद नहीं था
कहीं गया था
आ नहीं पाया ।

जो आएं, वह तो बधाई
यहां भी दे जाएं
जो न आएं
वह कूरियर से मिठाई संग
जरूर भिजवाएं।


2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत-बहुत बधाई, कि व्यंग्य विधा ने अपनी नाक बचाई.
    व्यंग्य विधा ने कराया देश में व्यंगाई-मेला,
    जिसे मना रहे हैं १३ फरवरी को हिन्दी भवन दिल्ली में हरीश नवेला.
    सा दर गोविन्द व्यास की स्मृतियाँ याद आयीं.
    आप सभी को सादर नमन.
    और हरीश नवल को शब्दजाल-चमन.
    लेखक गोष्ठी ने ओस्लो में १० फरवरी को मनाया मेरा जन्मदिन
    मेरी ५८ वीं जन्मतिथि में नहलाया केक में,
    देखकर ही हम मुस्कराए,
    क्योंकि मुझे थी दूध से इलर्जी,
    ईश्वर की मर्जी,
    हरीश नवल के लिए केक रक्खा है,
    नुक्कड़ में भेज रहा हूँ.
    अपना कर्त्तव्य निभा रहा हूँ. देश विदेश के पाठकों को मजा चखा रहा हूँ.
    यदि आपके कंप्यूटर को नहीं है इलर्जी,
    और आपको नहीं है जल्दी,
    मिल जाएगा केक.
    बाकी आपकी मर्जी!
    शुभकामनाएं.
    सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक', ओस्लो, नार्वे
    http://sureshshukla.blogspot.com/

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