परिकथा में परिकल्पना और परिकल्पना में चर्चा ५०० से ज्यादा सक्रिय ब्लोगरों की

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  • रवीन्द्र प्रभात
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  • जी हाँ ,
    परिकथा के नवंबर-दिसंबर अंक में प्रवक्ता, अनवरत, हिंद युग्म की हिंदी खबर, चिट्ठा चर्चा, औब्जेक्सन मी लॉर्ड, जगदीश्वर चतुर्वेदी के साथ परिकल्पना के शब्द सभागार की चर्चा हुई है !
    ये तो हुई परिकथा में परिकल्पना की बात ।
    और अब आपको यह बता दूं कि आज परिकल्पना ब्लॉग विश्लेषण के अंतर्गत वर्ष-२०१० में हिंदी ब्लोगिंग में सक्रिय
    ५०० से ज्यादा साहित्यकारों की चर्चा हुई है ।
    यदि आप साहित्य कर्म से जुड़े हैं और हिंदी ब्लोगिंग में इस वर्ष सक्रिय रहे हैं तो आप अवश्य शामिल होंगे इस विश्लेषण में .....
    तो देर किस बात की आईये चलते हैं आज के विश्लेषण पर एक नज़र डालने ......लिंक के लिए यहाँ किलिक करें

    2 टिप्‍पणियां:

    1. पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
      प्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
      मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
      दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
      या हादी
      (ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)

      या रहीम
      (ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)

      आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक
      {आप की अमानत आपकी सेवा में}
      इस पुस्तक को पढ़ कर
      पांच लाख से भी जियादा लोग
      फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcom

      जवाब देंहटाएं
    2. .
      यह टिप्पणी वहाँ पर किया हूँ , यहाँ भी रख रहा हूँ -

      '' जिस तरीके से ब्लॉग लेखन का स्तर सतही ( अत्यल्प बेहतर लेखन को छोड़कर ) है , उसी तरह यह मूल्यांकन का प्रयास भी सतही है . जी , सतही का मतलब स्तरहीन होने से ही है .

      मठाधीसी , आंतरिक 'सेटिंग' , छपास-रोग का अन्धानुराग , विपरीत-लैंगिक खिंचाव में फालतू पोस्टों पर अधिक संख्या में फेंचकुर फेंकती टिप्पणियाँ , ठीक टीपों का खामखा 'डिलीटीकरण' , प्रतिशोधात्मक कीचड-उछौहल , मूल्यहीनता के साथ सम्मान वितरण और तज्जन्य वाहवाही .........आदि नकारात्मक सक्रियताएं हिन्दी ब्लॉग-जगत की मुख्यधारा की सच हैं . हो सके तो इनका भी मूल्यांकन करना सीखा जाय . सामूहिक आत्ममुग्धता से बाज आकर शायद कुछ बेहतर किया जा सके . इमानदार मूल्यांकन करेंगे तो दीर्घकालिक खुशी होगी , नहीं तो यूँ एक-दुसरे की पीठ ठोंक कर खुशी होने में खुशी ही खुशी है . आभार !! ''

      जवाब देंहटाएं

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