बंटवारे का गम

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  • बेनामी
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  • जिनसे कभी मिले नहीं
    उनसे बिछड़ने का क्या गम होगा।
    ज़ख्मों को हरा करने से
    दर्द भला क्या कम होगा।

    वो उस सरहद का बारूद
    इस सरहद में रख देते हैं
    इससे भी बढ़कर भला
    कौन बेवफा सनम होगा!

    फ़िर भी सब शिकवे भुलाकर
    इंतज़ार आज भी करते हैं
    कि उनकी भी आंखों में
    कोई तो कोना नम होगा।

    बंटवारा सरहदों का नही
    हिन्दुस्तान के दिलों का हुआ था
    दिल से दिल जब मिलेंगे
    तब ही ये फासला कम होगा।

    6 टिप्‍पणियां:

    1. Batwara achcha hota hi nahi..yah shabd hi bura hai..

      behad umda rachan..sundar abhivyakti..

      badhayi..

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    2. की उनकी भी आंखों में
      कोई तो कोना नम होगा।
      बेह्तरीन भाव और सुन्दर अभिव्यक्ति

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    3. गम का बंटवारा चाहते हैं सब
      नहीं चाहते सुख बांट लें सभी।

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    4. बहुत सुन्दर लाजवाब रचना,।

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    5. बहुत सुंदर लिखा आप ने, ओर अविनाश जी की टिपण्णी भी एक कडबा सच है, अगर सभी सुख बांट ले तो दुख काहे हो आये. धन्यवाद

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    6. कब मिलेंगे दिल से दिल,कब होंगे फासले कम ..!!
      शुभकामनायें..!!

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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